सर्वनाम की परिभाषा | सर्वनाम के भेद | sarvnam ki paribhasha

सर्वनाम की परिभाषा

'सर्वनाम' उस विकारी शब्द को कहते हैं, जो पूर्वापरसंबंध से किसी भी संज्ञा के बदले आता है (-पं० कामताप्रसाद गुरु)। जैसे- मैं, तुम, वह, यह इत्यादि। सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते हैं, उन्हें 'सर्वनाम' कहते हैं।
संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसंबंध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है।
sarvnam-ki-paribhasha
'लड़का' कहने से केवल लड़के का बोध होता है, घर, सड़क आदि का बोध नहीं होता; किंतु 'वह' कहने से पूर्वापरसंबंध के अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है। sarvanam ki paribhasha

सर्वनाम के भेद

हिंदी में कुल ग्यारह सर्वनाम हैं- मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन, क्या। प्रयोग के अनुसार सर्वनाम के छह भेद हैं, जो इस प्रकार हैं-
  1. पुरुषवाचक
  2. निजवाचक
  3. निश्चयवाचक
  4. अनिश्चयवाचक
  5. संबंधवाचक
  6. प्रश्नवाचक
पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद हैं-
  1. उत्तमपुरुष
  2. मध्यमपुरुष
  3. अन्यपुरुष

पुरुषवाचक सर्वनाम

'पुरुषवाचक सर्वनाम' पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं। उत्तमपुरुष में लेखक या वक्ता आता है, मध्यमपुरुष में पाठक या श्रोता और अन्यपुरुष में लेखक और श्रोता को छोड़ अन्य लोग आते हैं। इसके तीन भेद हैं-
  • उत्तमपुरुष - मैं, हम।
  • मध्यमपुरुष - तू, तुम, आप।
  • अन्यपुरुष - वह, वे, यह, ये।

(क) उत्तम पुरुष
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाला अपने लिए प्रयोग करता है, उन्हें उत्तम पुरुष कहते हैं।
  • मैं खेल रहा था।
  • मैंने पुस्तक खरीद ली है।
  • हम बाज़ार गए थे।
  • हमारे लिए खाने का प्रबंध करो।

(ख) मध्य पुरुष
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग सुनने वालों के लिए प्रयुक्त किया जाता है, उन्हें मध्य पुरुष कहते हैं।
  • तुम स्कूल जाओ।
  • आप हमारे घर चलिए।
  • आपको हमारी बात माननी पड़ेगी।
  • तुम्हें यह शरारत नहीं करनी चाहिए थी।

(ग) अन्य पुरुष
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने और सुनने वालों के अतिरिक्त किसी अन्य के लिए किया जाता है, उन्हें अन्य पुरुष कहते हैं।
  • वह खेल-कूद में बहुत तेज़ है।
  • वे श्रेष्ठ खिलाड़ी हैं।
  • उनसे कोई आशा न रखना।
  • उन्हें यहाँ आने के लिए कह देना।

निजवाचक सर्वनाम

'निजवाचक सर्वनाम' का रूप 'आप' है। लेकिन, पुरुषवाचक के अन्यपुरुष वाले 'आप' से इसका प्रयोग बिलकुल अलग है। यह कर्ता का बोधक है, पर स्वयं कर्ता का काम नहीं करता।
पुरुषवाचक 'आप' बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे-आप मेरे सिर-आँखों पर हैं; आप क्या राय देते हैं? किंतु, निजवाचक 'आप' एक ही तरह दोनों वचनों में आता है और तीनों पुरुषों में इसका प्रयोग किया जा सकता है। निजवाचक सर्वनाम 'आप' का प्रयोग निम्नलिखित अर्थों में होता है-
  • निजवाचक 'आप' का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्चय) के लिए होता है। जैसे-मैं आप वहीं से आया हूँ; मैं आप वही कार्य कर रहा हूँ।
  • निजवाचक 'आप' का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे-उन्होंने मुझे रहने को कहा और आप चलते बने; वह औरों को नहीं, अपने को सुधार रहा है।
  • सर्वसाधारण के अर्थ में भी 'आप' का प्रयोग होता है। जैसे-आप भला तो जग भला; अपने से बड़ों का आदर करना उचित है।
  • अवधारण के अर्थ में कभी-कभी 'आप' के साथ 'ही' जोड़ा जाता है। जैसे-मैं आप ही चला आता था; यह काम आप ही हो गया; मैं यह काम आप ही कर लूँगा।

निश्चयवाचक सर्वनाम

जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्चय का बोध होता है, उसे 'निश्चयवाचक सर्वनाम' कहते हैं। जैसे-यह, वह। उदाहरणार्थ-पास की वस्तु के लिए यह कोई नया काम नहीं है; दूर की वस्तु के लिए-रोटी मत खाओ, क्योंकि वह जली है।

अनिश्चयवाचक सर्वनाम

जिस सर्वनाम से किसी निश्चित वस्तु का बोध न हो, उसे 'अनिश्चयवाचक सर्वनाम' कहते हैं। जैसे-कोई, कुछ। उदाहरणार्थ-कोई-ऐसा न हो कि कोई आ जाए; कुछ-उसने कुछ नहीं खाया।

संबंधवाचक सर्वनाम

जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध स्थापित किया जाए, उसे 'संबंधवाचक सर्वनाम' कहते हैं। जैसे-जो, सो। उदाहरणार्थ-वह कौन है, जो पड़ा रो रहा है। वह जो न करे, सो थोड़ा। 

प्रश्नवाचक सर्वनाम

प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें 'प्रश्नवाचक सर्वनाम' कहते हैं। जैसे-कौन, क्या। उदाहरणार्थ-कौन आता है? तुम क्या खा रहे हो? ध्यान रखना चाहिए कि 'कौन' का प्रयोग चेतन जीवों के लिए और 'क्या' का प्रयोग जड़ पदार्थों के लिए होता है।

संयुक्त सर्वनाम

रूस के हिंदी वैयाकरण डॉ० दीमशित्स ने एक और प्रकार के सर्वनाम का उल्लेख किया है और उसे 'संयुक्त सर्वनाम' कहा है। उन्हीं के शब्दों में, "संयुक्त सर्वनाम, पृथक् श्रेणी के सर्वनाम हैं। सर्वनाम के सब भेदों से इनकी भिन्नता इसलिए है, क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। संयुक्त सर्वनाम स्वतंत्र रूप से या संज्ञा-शब्दों के साथ भी प्रयुक्त होता है।" कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-जो कोई, सब कोई, हर कोई, और कोई, कोई और, जो कुछ, सब कुछ, और कुछ, कुछ और, कोई एक, एक कोई, कुछ एक, कुछ भी, कोई-न-कोई, कुछ-न-कुछ, कुछ-कुछ, कोई-कोई इत्यादि।

क्या आप जानते हैं
हिंदी में कुल ग्यारह सर्वनाम हैं- मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन, क्या।

सर्वनाम के रूपांतर (लिंग, वचन और कारक)

सर्वनाम का रूपांतर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपांतर नहीं होता। जैसे-
  • वह खाता है।
  • वह खाती है।
संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं- एकवचन और बहुवचन। पुरुषवाचक और निश्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं। सर्वनाम में केवल सात कारक होते हैं। संबोधन कारक नहीं होता।

नोट - कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है। जैसे -
मैं-मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा
तुम-तुम्हें, तुम्हारा
हम-हमें, हमारा
वह-उसने, उसको, उसे, उससे, उसमें, उन्होंने, उनको
यह-इसने, इसे, इससे, इन्होंने, इनको, इन्हें, इनसे
कौन-किसने, किसको, किसे

सर्वनाम की कारक-रचना (रूप-रचना)

मैं (उत्तमपुरुष)
कारक एकवचन बहुवचन
कर्ता मैं, मैंने हम, हमने
कर्म मुझे, मुझको हमें, हमको
करण मुझसे हमसे
संप्रदान मुझे, मेरे लिए हमें, हमारे लिए
अपादान मुझसे हमसे
संबंध मेरा, मेरे, मेरी हमारा, हमारे, हमारी
अधिकरण मुझमें, मुझपर हममें, हमपर

तू (मध्यमपुरुष)
कारक एकवचन बहुवचन
कर्ता तू, तूने तुम, तुमने, तुमलोगों ने
कर्म तुझको, तुझे तुम्हें, तुमलोगों को
करण तुझसे, तेरे द्वारा तुमसे, तुम्हारे से, तुमलोगों से
संप्रदान तुझको, तेरे लिए, तुझे तुम्हें, तुम्हारे लिए, तुमलोगों के लिए
अपादान तुझसे तुमसे, तुमलोगों से
संबंध तेरा, तेरी, तेरे तुम्हारा-री, तुमलोगों का-की
अधिकरण तुझमें, तुझपर तुममें, तुमलोगों में-पर

वह (अन्यपुरुष)
कारक एकवचन बहुवचन
कर्ता वह, उसने वे, उन्होंने
कर्म उसे, उसको उन्हें, उनको
करण उससे, उसके द्वारा उनसे, उनके द्वारा
संप्रदान उसको, उसे, उसके लिए उनको, उन्हें, उनके लिए
अपादान उससे उनसे
संबंध उसका, उसकी, उसके उनका, उनकी, उनके
अधिकरण उसमें, उसपर उनमें, उनपर

आप (आदरसूचक)
कारक एकवचन बहुवचन
कर्ता आपने आप लोगों ने
कर्म आपको आप लोगों को
करण आपसे आप लोगों से
संप्रदान आपको, के लिए आप लोगों को, के लिए
अपादान आपसे आप लोगों से
संबंध आपका, की, के आप लोगों का, की, के
अधिकरण आपमें, पर आप लोगों में, पर

यह (निकटवर्ती)
कारक एकवचन बहुवचन
कर्ता यह, इसने ये, इन्होंने
कर्म इसको, इसे ये, इनको, इन्हें
करण इससे इनसे
संप्रदान इसे, इसको इन्हें, इनको
अपादान इससे इनसे
संबंध इसका, की, के इनका, की, के
अधिकरण इसमें, इसपर इनमें, इनपर

कोई (अनिश्चयवाचक)
कारक एकवचन बहुवचन
कर्ता कोई, किसने किन्हीं ने
कर्म किसी को किन्हीं को
करण किसी से किन्हीं से
संप्रदान किसी को, किसी के लिए किन्हीं को, किन्हीं के लिए
अपादान किसी से किन्हीं से
संबंध किसी का, किसी की, किसी के किन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के
अधिकरण किसी में, किसी पर किन्हीं में, किन्हीं पर

सर्वनाम का पद-परिचय

सर्वनाम का पद-परिचय करते समय सर्वनाम, सर्वनाम का भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक और अन्य पदों से उसका संबंध बताना पड़ता है। उदाहरण-वह अपना काम करता है।
इस वाक्य में, 'वह' और 'अपना' सर्वनाम है। इनका पद-परिचय होगा-
वह- पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन, कर्ताकारक, 'करता है' क्रिया का कर्ता।
अपना- निजवाचक सर्वनाम, अन्यपुरुष, पुल्लिग, एकवचन, संबंधकारक, 'काम' संज्ञा का विशेषण।

हिंदी सर्वनामों का सामाजिक संदर्भ
सामाजिक संदर्भ से हिंदी के सभी सर्वनाम जुड़े हुए हैं। ऊपर की गई चर्चा में हम देख चुके हैं कि तू, तुम, आप सर्वनामों का भेद वस्तुतः समाज-संदर्भित ही है। हालांकि ये "मध्यम पुरुष एकवचन" के ही प्रतिनिधि रूप में प्रयुक्त होते हैं। अपने सामाजिक संदर्भ में तू, तुम, आप को निम्नलिखित श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है:-
  • तू = अपने से छोटे के लिए
  • तुम = समवयस्क या समव्यवसायी के लिए
  • आप = अपने से बड़े या आदरणीय व्यक्तियों के लिए
भारतीय समाज की बनावट की विशेषता के कारण विकल्पन (variation) यहाँ की भाषाओं की प्रकृति में ही घुल-मिल गया है। हिंदी सर्वनामों के इन विकल्पनों का चयन वक्ता-श्रोता की सामाजिक स्थिति या उनके पद को व्यक्त करता है।
जैसे : -
वक्ता श्रोता
[-पद] (तुम) [-पद] (तुम)
[+पद] (तुम) [-पद] (तू)
[+पद] (तुम) [+पद] (आप)
[-पद] (तू) [+पद] (तुम)

इस पद एवं स्तर-भेद के आधार पर सर्वनामों का प्रयोग और उनके विकल्प हमें हिंदी कथा-साहित्य में बड़ी मात्रा में मिल जाते हैं। यहाँ हम उस प्रयोग की चर्चा करना चाहेंगे जो श्रीलाल शुक्ल के प्रसिद्ध उपन्यास “राग-दरबारी" में दर्शाया गया है। खद्दर का धोती-कुर्ता पहने एक सज्जन को बस में चढ़ते देख उन्हें नेताजी समझ कर बस-कंडक्टर "आप" द्वारा संबोधित करता है। सीट की आशा में वे सज्जन (जो वास्तव में अध्यापक है) भी कंडक्टर को “आप” द्वारा संबोधित करते हैं। थोड़ी देर बाद जब कंडक्टर को असलियत का पता चल जाता है तो वह उन सज्जन को "तुम" द्वारा संबोधित करने लगता है। अपना काम बनता न देख कर वे सज्जन कंडक्टर को भी "तुम" द्वारा संबोधित करते हैं।
इस प्रकार पद और प्रतिष्ठा के आधार पर ये विकल्पन हमें सामाजिक अर्थ ग्रहणं कराते हैं। परिवारों, कार्यालयों, विश्वविद्यालयों आदि को केन्द्र में रखकर लिखी गई कहानियाँ इस विषय में अच्छी सामग्री हमें देती हैं। प्रेमचंद, अमृत लाल नागर, भगवती चरण वर्मा आदि के कई उपन्यास भी मध्यम पुरुष सर्वनाम के विकल्पों का प्रत्येक स्थिति में सटीक प्रयोग करते देखे जा सकते हैं। तू, तुम, आप का यही विकल्पन रिश्ते की शब्दावली या पारिवारिक संबंधों में भी पाया जाता है जिसका . उल्लेख पहले की इकाई में किया गया है। पिता, पुत्र के लिए “तू" संबोधन करता है अथवा "तुम" का भी। भाई-बहन आपस में "तुम" का ही प्रयोग करते हैं और पुत्र, पिता के लिए "आप" का ही प्रयोग करता है। परन्तु वक्ता-श्रोता की आयु और मानसिक स्थिति के कारण ये प्रयोग बदलते भी रहते हैं। आत्मीयता के क्षणों में पति द्वारा पत्नी के लिए "तू' का प्रयोग, भक्त द्वारा ईश्वर को "तू" का संबोधन, नाराज़गी में "तुम" के स्थान पर “आप” का प्रयोग, बच्चे के लिए दुलार में "आप" का प्रयोग आदि इसी बदलते हुए प्रयोग को इंगित करते हैं। हिंदी-सर्वनामों की संरचना वाले चार्ट में आपने देखा कि "आप" मध्यम पुरुष का आदरसूचक सर्वनाम है और अन्य पुरुष सर्वनाम में भी उसका स्थान है। इसका संबंध भी प्रयोग के सामाजिक-संदर्भ से हैं। मंच पर आसीन किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति का परिचय "ये", "इन", "इन्हों" द्वारा देना चाहिए। परन्तु अति विशिष्ट व्यक्ति के लिए इनके स्थान पर "आप" का ही प्रयोग होता है जैसे “आप हैं श्री..........", "आप का परिचय देते हुए मुझे हर्ष हो रहा हैं", "आपने देशहित में अनेक कार्य किए हैं" आदि। यह भी ध्यान दें कि "आप" का प्रयोग इस संदर्भ में तभी किया जाता है जब संबोधित व्यक्ति वहाँ उपस्थित हो।
अन्य पुरुष सर्वनामों के सामाजिक संदर्भ भी स्पष्ट हैं। “वह-उस", "यह-इस" आदि का प्रयोग अपने से छोटे या घनिष्ठ व्यक्ति के लिए होता है। "वे-उन", "ये-इन" आदि का प्रयोग अपने से बड़े या औपचारिक स्थिति में किया जाता है। इस संदर्भ में नीचे के वाक्यों को देखिए-

बेटे के संदर्भ में :
  1. (यह) मेरा बेटा है।
  2. (इसका) नाम मोहन है।
  3. (वह) डॉक्टर है।
  4. (उसका) घर दिल्ली में है।

पिता के संदर्भ में :
  1. (ये) मेरे पिता जी हैं।
  2. (इनके) दो बेटे हैं।
  3. (वे) रोज़ सैर के लिए जाते हैं।
  4. (उनका) नाम श्री राम प्रसाद मिश्र है।
ऊपर दिए गए वाक्य यह स्पष्ट करते हैं कि सर्वनाम प्रयोग भाषा-संरचना को प्रभावित करता है। इस तथ्य को और विस्तार से हम आगे की चर्चा में देखेंगे।

सारांश
  • सर्व (सब) नामों (संज्ञाओं) के बदले जो शब्द आते हैं, उन्हें 'सर्वनाम' कहते हैं। संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम की विलक्षणता यह है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है, जिसका वह (संज्ञा) नाम है, वहाँ सर्वनाम में पूर्वापरसंबंध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है।
प्रयोग के अनुसार सर्वनाम के छह भेद हैं, जो इस प्रकार हैं-
  1. पुरुषवाचक
  2. निजवाचक
  3. निश्चयवाचक
  4. अनिश्चयवाचक
  5. संबंधवाचक
  6. प्रश्नवाचक
  • सर्वनाम का रूपांतर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपांतर नहीं होता।
  • संज्ञाओं के समान सर्वनाम के भी दो वचन होते हैं- एकवचन और बहुवचन। पुरुषवाचक और निश्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्ति रहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं।
  • सर्वनाम में केवल सात कारक होते हैं। संबोधन कारक नहीं होता। कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है।

प्रश्न उत्तर

1. सर्वनाम किसे कहते हैं ? उसके कितने भेद होते हैं?
जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम के छ: भेद होते हैं।

2. सर्वनाम के सभी भेदों की परिभाषा उदाहरण सहित लिखो।
  • पुरुषवाचक सर्वनाम - जो सर्वनाम किसी व्यक्तिवाचक संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते हैं, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - वह, तुम, मैं आदि।
  • प्रश्नवाचक सर्वनाम - प्रश्न पूछने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - कौन, क्या, कब आदि।
  • निश्चयवाचक सर्वनाम - जिन सर्वनामों से किसी व्यक्ति या वस्तु का निश्चयपूर्वक बोध होता है, उन्हें निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - यह, वह आदि।
  • अनिश्चयवाचक सर्वनाम - जिन सर्वनामों से किसी व्यक्ति या वस्तु का निश्चयपूर्वक बोध नहीं होता है, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - कोई, कछ आदि।
  • निजवाचक सर्वनाम - जिन सर्वनामों का प्रयोग स्वयं के लिए किया जाता है, उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - स्वयं, खुद आदि।
  • संबंधवाचक सर्वनाम - जिन सर्वनामों का प्रयोग वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध प्रकट करने के लिए किया जाता है, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे-जो-सो, जिससे आदि।

पुरुषवाचक सर्वनाम के कितने भेद होते हैं ? सभी की परिभाषा लिखकर उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद होते हैं -
  1. उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम - बोलने वाला या लिखने वाला स्वयं अपने लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, उन्हें उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे – मैं, मुझे, मेरा आदि।
  2. मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम - बात सुनने वाले के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं जैसे - तुम, तेरा आदि।
  3. अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम - जिसके बारे में बात हो रही है, उसके लिए प्रयुक्त किए जाने वाले सर्वनाम अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं जैसे - वह, उसका आदि।

एक टिप्पणी भेजें

Post a Comment (0)

और नया पुराने