शब्द किसे कहते हैं
दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। अर्थात् शब्द वर्गों का वह समूह होता है जो किसी निश्चित अर्थ को प्रकट करता है, जिसका प्रयोग स्वतंत्र रूप से होता है तथा जिसकी रचना ध्वनियों के निश्चित क्रम से होती है।
प्रत्येक भाषा का अपना शब्द भण्डार होता है।
शब्द की परिभाषा
वर्णों या ध्वनियों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं। यदि सार्थक मेल न हो, तो निरर्थक बनते हैं और उनका हिन्दी व्याकरण में कोई मतलब नहीं होता।
जैसे -
सार्थक मेल | सार्थक शब्द |
---|---|
क+म+ल | कमल (एक प्रकार का फूल) |
क+ल+म | कलम (लिखने की वस्तु) |
निरर्थक मेल | निरर्थक शब्द |
---|---|
ल+क+म | लकम |
म+क+ल | मकल |
शब्द और पद
जब कोई शब्द किसी वाक्य में प्रयुक्त होता है, तब वही शब्द पद कहलाता है।
जैसे -
राम, आम - संज्ञा शब्द खाता है - क्रिया शब्द |
राम आम खाता है। |
(राम कर्ता पद, आम कर्मपद, खाता है क्रिया पद)
स्पष्ट है कि कोई शब्द तब तक शब्द है, जब तक वह वाक्य में प्रयुक्त नहीं हुआ है। ज्यों ही वह किसी वाक्य में प्रयुक्त हुआ, त्योंही 'पद' हो गया। व्याकरण की भाषा में वाक्य में प्रयुक्त शब्द 'पद' कहलाते हैं।
शब्दों के भेद
शब्दों के भेद 5 आधार पर किये जाते हैं-
- अर्थ के आधार पर
- उत्पति के आधार पर
- रचना या व्युत्पत्ति के आधार पर
- रूपांतर के आधार पर
- प्रयोग के आधार पर
अर्थ के आधार पर
अर्थ के आधार पर शब्दों के दो भेद हैं -
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द
सार्थक वे शब्द हैं, जिनका कोई निश्चित अर्थ होता है।
रोटी, उलटा, खाना, पानी, हल्ला, चाय आदि।
निरर्थक शब्द
निरर्थक वे शब्द हैं, जिनका कोई अर्थ नहीं होता है।
जैसे -
वोरी, पुलरा, वाना, वाती, गुल्ला, बाय आदि।
उत्पत्ति के आधार पर
उत्पत्ति एवं स्रोत के आधार पर हिन्दी शब्दों को निम्न 6 भागों में बाँटा गया है-
- तत्-सम (तत्सम) शब्द
- तत्-भव (तद्भव) शब्द
- अर्द्धतत्सम शब्द
- देशज शब्द
- विदेशी शब्द
- संकर शब्द
तत्सम शब्द
'तत्' तथा 'सम' के मेल से तत्सम शब्द बना है। 'तत्' का अर्थ होता है- 'उसके' तथा 'सम' का अर्थ है 'समान'। अर्थात् उसके समान, ज्यों का त्यों। अत: किसी भाषा में प्रयुक्त उसकी मूल भाषा के शब्द जब ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं, तत्सम शब्द कहलाते हैं।
हिन्दी की मूल भाषा संस्कृत है, अत: संस्कृत भाषा के जो शब्द हिन्दी भाषा में अपरिवर्तित रूप में ज्यों के त्यों प्रयुक्त हो रहे हैं, हिन्दी भाषा के तत्सम शब्द कहलाते हैं, जैसे- अग्नि, आम्र, कर्ण, दुग्ध, कर्म, कृष्ण।
वे शब्द भी हिन्दी में तत्सम शब्दों की श्रेणी में आते हैं जिन्हें आज की आवश्यकतानुसार संस्कृत शब्दों में संस्कृत के ही उपसर्ग या प्रत्यय लगाकर बना लिए गये हैं, जैसे-क्रय शक्ति, आयुक्त, प्रौद्योगिकी, उत्पादनशील, आकाशवाणी, दूरदर्शन।
साथ ही कुछ ऐसे शब्द भी हिन्दी में तत्सम शब्द कहलाते हैं जिन्हें संस्कृत भाषा के प्रचलन काल में ही विदेशी भाषाओं या अन्य स्रोतों से लेकर संस्कृत ने अपना लिया फिर संस्कृत से हिन्दी में भी आ गये।
जैसे- दीनार, सिन्दूर, मुद्रा, मर्कट, रात्रि, केन्द्र, यवन, तांबूल, तीर, असुर, पुष्प, नीर, गण, गंगा, कदली आदि।
तद्भव शब्द
'तद्भव' शब्द 'तत्' तथा 'भव' के मेल से बना है। 'तत्' का अर्थ है 'उससे' तथा 'भव' का अर्थ है 'उत्पन्न'। अर्थात् 'उससे उत्पन्न।' यहाँ उससे' शब्द 'संस्कृत' के लिए प्रयुक्त हुआ है।
हिन्दी भाषा के वे शब्द जो सीधे संस्कृत से ज्यों के त्यों नहीं लिए गये बल्कि वे शब्द जो संस्कृत से पालि, पालि से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश तथा अपभ्रंश से पुरानी हिन्दी से होते हुए घिस-पिटकर परिवर्तित रूप में हिन्दी में प्रयुक्त हो रहे हैं, हिन्दी के तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे संस्कृत के पितृ से पिता, मातृ से माता, अग्नि से आग, आम्र से आम, गोधूम से गेहूँ रूप में परिवर्तित होकर हिन्दी में प्रयुक्त हो रहे हैं।
- यदि किसी शब्द में अनुनासिक (चन्द्रबिन्दु) का प्रयोग होता है तो वह प्रायः तद्भव शब्द माना जाता है।
- ड़ व ढ़ वर्ण का प्रयोग भी सदैव तद्भव शब्द में ही होता है।
हिन्दी भाषा में प्रयुक्त तद्भव शब्दों की सूची
अ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
अंगरक्षक | अँगरखा |
अंधकार | अँधेरा |
अक्षर | आखर |
अग्नि | आग |
अट्टालिका | अटारी |
अमावस्या | अमावस |
अवगुण | औगुण |
अवसर | औसर |
अश्रु | आँसू |
अंगुष्ठ | अँगूठा |
अक्षत | अच्छत |
अक्षि | आँख |
अग्र | आगे |
अद्य | आज |
अष्टादश | अठारह |
अवतार | औतार |
अष्ट | आठ |
आ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
आदित्यवार | इतवार |
आमलक | आँवला |
आम्रचूर्ण | अमचूर |
आभीर | अहीर |
आम्र | आम |
आश्विन | आसोज |
इ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
इक्षु | ईख |
इष्टिका | ईंट |
ई
तत्सम | तद्भव |
---|---|
ईप्सा | इच्छा |
ईर्ष्या | ईर्षा |
उ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
उपरि | ऊपर |
उपालंभ | उलाहना |
उलूक | उल्लू |
उपाध्याय | ओझा |
उद्वर्तन | उबटन |
उष्ट्र | ऊँट |
ऋ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
ऋक्ष | रीछ |
ए
तत्सम | तद्भव |
---|---|
एकत्र | इकट्ठा |
एला | इलायची |
ओ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
ओष्ठ | ओंठ/होंठ |
क
तत्सम | तद्भव |
---|---|
कच्छप | कछुआ |
कदली | केला |
कटि | कमर |
कपाट | किवाड़ |
कपोत | कबूतर |
कर्पद | कौड़ी |
कर्पूर | कपूर |
कुम्भकार | कुम्हार |
कर्तरी | कैंची |
कर्पट | कपड़ा |
कुक्कुर | कुत्ता |
कूप | कुआँ |
क्षत्रिय | खत्री |
ग
तत्सम | तद्भव |
---|---|
गर्दभ | गधा/गदहा |
गोधूम | गेहूँ |
गृद्ध | गीध |
गोमय | गोबर |
घ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
घट | घड़ा |
घोटक | घोड़ा |
च
तत्सम | तद्भव |
---|---|
चंचु | चोंच |
चतुष्कोण | चौकोर |
चूर्ण | चून |
चतुर्दश | चौदह |
चित्रकार | चितेरा |
छ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
छत्र | छाता |
छिद्र | छेद |
ज
तत्सम | तद्भव |
---|---|
जामाता | जमाई |
जिह्वा | जीभ |
त
तत्सम | तद्भव |
---|---|
तण्डुल | तन्दुल |
तृण | तिनका |
ताम्र | ताँम्बा |
त्रयोदश | तेरह |
द
तत्सम | तद्भव |
---|---|
दंत | दाँत |
दुग्ध | दूध |
दुर्लभ | दूल्हा |
दधि | दही |
दूर्वा | दूब |
दौणक | दौना |
ध
तत्सम | तद्भव |
---|---|
धूम्र | धुआँ |
धूलि | धूरि |
न
तत्सम | तद्भव |
---|---|
नयन | नैन |
नारिकेल | नारियल |
निम्ब | नीम |
नकुल | नेवला |
नासिका | नाक |
नृत्य | नाच |
प
तत्सम | तद्भव |
---|---|
परीक्षा | परख |
पुष्प | पुहुप |
पाषण | पाहन |
प्रस्वेद | पसीना |
पर्पट | पापड़ |
पुष्कर | पोखर |
प्रस्तर | पत्थर |
फ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
फाल्गुन | फागुन |
ब
तत्सम | तद्भव |
---|---|
बन्ध्या | बाँझ |
बधिर | बहरा |
बलीवर्द | बैल |
बालुका | बालू |
भ
तत्सम | तद्भव |
---|---|
भल्लुक | भालू |
भ्रातृ | भाई |
भागिनेय | भानजा |
भ्रू | भौं/भौंह |
म
तत्सम | तद्भव |
---|---|
मक्षिका | मक्खी |
मयूर | मोर |
मशक | मच्छर |
मातृ | माता |
मुख | मुंह |
मत्स्य | मछली |
मर्कटी | मकड़ी |
मातुल | मामा |
मुक्ता | मोती |
य
तत्सम | तद्भव |
---|---|
यव | जौ |
यष्टिका | लाठी |
र
तत्सम | तद्भव |
---|---|
रज्जु | रस्सी |
रूक्ष | रूखा |
रुदन | रोना |
राज्ञी | रानी |
रात्रि | रात |
ल
तत्सम | तद्भव |
---|---|
लवण | नोन |
लवंग | लौंग |
व
तत्सम | तद्भव |
---|---|
वधू | बहू |
वज्रांग | बजरंग |
वत्स | बछड/बच्चा |
वानर | बंदर |
वाष्प | भाप |
वृश्चिक | बिच्छू |
श
तत्सम | तद्भव |
---|---|
शकट | छकड़ा |
शाक | साग |
श्रृंग | सींग |
श्मश्रु | मूँछ |
शर्करा | शक्कर |
शूकर | सूअर |
श्रृंगार | सिंगार |
श्वसुर | ससुर |
ष
तत्सम | तद्भव |
---|---|
षोडश | सोलह |
षष्ठि | छठ |
स
तत्सम | तद्भव |
---|---|
सायं | शाम |
स्तम्भ | खम्भा |
सौभाग्य | सुभाग |
स्थालिका | थाली |
ह
तत्सम | तद्भव |
---|---|
हस्त | हाथ |
हृदय | हिया |
हरिद्रा | हल्दी |
होलिका | होली |
अर्द्धतत्सम शब्द
हिन्दी भाषा के वे तद्भव शब्द जो सीधे संस्कृत से पुरानी हिन्दी के समय में आकर परिवर्तित हो गये; हिन्दी के अर्द्ध तत्सम शब्द कहलाते हैं। अर्थात् वे शब्द जो संस्कृत के अपने मूल रूप से थोड़े से विकृत रूप में हिन्दी में अपनाये गये हैं, ध्यान से देखने पर ये संस्कृत (तत्सम) रूप का स्पष्ट आभास कराते हैं। डॉ. ग्रियर्सन एवं डॉ. चटर्जी संस्कृत के उन शब्दों को अर्द्ध तत्सम शब्द मानते हैं जो उच्चारण की अशुद्धता या असावधानी के कारण किंचित परिवर्तित हो गये।
जैसे -
अक्षर | अच्छर (आखर) |
कृष्ण | किसन |
कृपा | किरपा |
ज्ञान | ग्यान |
चन्द्र | चन्दर |
पक्षी | पच्छी |
परीक्षा | परीच्छा |
भक्त | भगत |
रत्न | रतन |
देशज शब्द
किसी भाषा के वे शब्द जिनकी उत्पत्ति या स्रोत का पता नहीं चलता तथा वे शब्द जो स्थानीय या क्षेत्रीय जनता के द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुसार गढ़ लिये जाते हैं, 'देशज' या 'अज्ञातमूलक' शब्द कहलाते हैं।
हिन्दी भाषा में प्रचलित वे शब्द जिनकी व्युत्पत्ति किसी संस्कृत धातु से या व्याकरण के किसी नियमानुसार नहीं हुई बल्कि जो क्षेत्रीय लोगों द्वारा अपनी गढन्त से बने हैं तथा वे शब्द भी देशज शब्दों की श्रेणी में आते हैं जो क्षेत्रीय एवं स्थानीय बोलियों (लोक भाषाओं) से हिन्दी में आ गये तथा वे शब्द भी जिनका निर्माण ध्वनि के अनुकरण के आधार पर हुआ।
अत: देशज शब्दों को तीन श्रेणियों में रखा जा सकता है -
- अपनी गढ़न्त से बने शब्द - कबड्डी, खिड़की, गाड़ी, घाघरा, घेवर, चिमटा, जूता, झगड़ा, झण्डा, झाडू, बेटा।
- आदिवासी जातियों की भाषाओं से आये शब्द - द्रविड़, कोल तथा संथाल जैसी आदिवासी जातियों की बोलियों से आये शब्द जैसे-इडली, कपास, काच, कोड़ी, डोसा, टिंडा, भिंडी, माला, मीन, सरसों, उड़द।
- ध्वन्यात्मक एवं अनुकरणात्मक शब्द - गड़बड़, खटखट, गड़गड़ाहट, टर्राना, फटफटिया, हिनहिनाना।
विदेशी शब्द
किसी भाषा में प्रयुक्त अन्य देशों की भाषाओं से आये वे शब्द जिनका प्रयोग मूल भाषा के व्याकरण के अनुसार न होकर प्रयुक्त भाषा के व्याकरण के अनुसार ही होता है, विदेशी शब्द कहलाते हैं।
राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारणों के कारण हिन्दी भाषा में अरबी, फारसी, तुर्की, पुर्तगाली, फ्रांसीसी, अंग्रेजी भाषा के साथ चीनी, डच, जापानी, जर्मनी, रूसी, यूनानी, तिब्बती आदि भाषाओं के शब्द प्रयुक्त होने लगे हैं।
- अरबी भाषा से आये शब्द - अक्ल, अजब, अजायबघर, अदालत, आदमी, इस्तीफा, ईमानदार, औरत, औलाद, औसत, कलम, कागज, किताब, कीमत, कुरसी, गबन, गुलाम, गुस्ल, जलेबी, तकिया, तहसील, तारीख, दवात, दुकान, दौलत, नक्शा, नमक हराम, मुन्सिफ, मवेशी, मुसाफिर, मुहावरा, लावारिस, वकील, वारिस, हवेली, हाकिम, हुक्का, हुक्म, हुजूर।
- फारसी भाषा के शब्द - अखबार, अनार, अमरुद, आतिशबाजी, कमीज, कारखाना, कुश्ती, कैदखाना, खरगोश, गुब्बारा, गुलाब, चमचा, जनानखाना, जादूगर, जेबखर्च, दर्जी, दवाखाना, नजरबन्द, पाजामा, पोशाक, प्याज, प्याला, रसीद, शतरंज, शहतूत, सिपाही, सुबह, सौदागर, हवलदार, हिन्दी।
- तुर्की भाषा के शब्द - तोप, बुलबुल, बारूद, बेगम, बावर्ची, उर्दू, दारोगा, चाकू, मुगल, चोगा।
- पुर्तगाली भाषा के शब्द - अलमारी, आलपीन, आलू, इस्तरी, कमरा, गोदाम, तौलिया, पादरी, बाल्टी, साबुन, काजू, पाव (रोटी), गिरजा, कमीज, गोभी, तम्बाकू, पिस्तौल, फीता।
- अंग्रेजी भाषा के शब्द - ऑफिस, इंजन, इंक, कंजर्वेटिव, कप्तान, कमिश्नर, कलक्टर, गवर्नमेन्ट, टाइप, टेलिफोन, थर्मामीटर, पेन्सिल, ऑफिस, बजट, मास्टर, म्यूजियम, यूनिवर्सिटी, रेल, लाइब्रेरी, स्कूल, स्टाम्प, सिनेमा।
- चीनी भाषा के - चाय, लीची, लोकाट
- डच भाषा के - ड्रिल, तुरूप, बम
- जर्मनी भाषा के - किंडर गार्टन, नाजीवाद, नात्सी
- रूसी भाषा के - जार, बुर्जुआ, रूबल, सोवियत, स्पुतनिक
- तिब्बती भाषा के - डाँडी, लामा
संकर शब्द
हिन्दी भाषा में प्रचलित वे शब्द 'संकर शब्द' कहलाते हैं, जिनकी रचना दो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों के योग से हुयी है।
जैसे -
(क) अन्य भाषा एवं हिन्दी भाषा के शब्दों के मेल से बने शब्द
(अ) संस्कृत एवं हिन्दी
- रात्रि + उड़ान = रात्रिउड़ान
(आ) अरबी एवं हिन्दी
- अखबार + वाला = अखबारवाला
- आम + चुनाव = आमचुनाव
- अजायब + घर = अजायबघर
- किताब + घर = किताबघर
(इ) अंग्रेजी एवं हिन्दी
- रेल + गाड़ी = रेलगाड़ी
- सिनेमा + घर = सिनेमाघर
(ई) फारसी एवं हिन्दी
- मोमबत्ती = मोमबत्ती
(उ) तुर्की एवं हिन्दी
- तोप + गाड़ी = तोपगाड़ी
(ऊ) पुर्तगाली एवं हिन्दी
- पाव + रोटी = पावरोटी
(ख) हिन्दी एवं अन्य भाषा के शब्दों के मेल से बने
(अ) हिन्दी एवं संस्कृत
- अपना + भवन = अपना-भवन
- छोटी + रेखा = छोटी
- रेखा माँग + पत्र = माँग-पत्र
(आ) हिन्दी एवं फारसी
- कटोर + दान = कटोरदान
- चमक + दार = चमकदार
- छापा + खाना = छापाखाना
- छाया + दार = छायादार
(इ) हिन्दी एवं अंग्रेजी
- कपड़ा + मिल = कपड़ामिल
- लाठी + चार्ज = लाठीचार्ज
(ई) हिन्दी एवं अरबी
- राज + महल = राजमहल
- घड़ी + साज = घड़ीसाज
(ग) दोनों अन्य भाषाओं के योग से बने शब्द
(अ) संस्कृत एवं फारसी
- अग्नि + बीमा = अग्निबीमा
- दल + बन्दी = दलबन्दी
- विज्ञापन + बाजी = विज्ञापनबाजी
(आ) अंग्रेजी एवं फारसी
- जेल + खाना = जेलखाना
- सील + बन्द = सीलबन्द
(इ) अरबी एवं फारसी
- गोता + खोर = गोताखोर
(ई) अंग्रेजी एवं संस्कृत
- रेल + विभाग = रेल-विभाग
- रेल + यात्रा = रेलयात्रा
रचना के आधार पर
व्युत्पत्ति / बनावट / रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद हैं
- रूढ़ शब्द
- यौगिक शब्द
- योगरूढ़ शब्द
1. रूढ़ शब्द
जिन शब्दों के खंड किये जाने पर कोई अर्थ न निकले, उन्हें रूढ़ कहते हैं।
जैसे - राजा, कन्या, सागर, आकाश, विद्या आदि।
रूढ़ शब्द | खंड करने पर निरर्थक शब्द |
---|---|
राज | रा + ज |
कन्या | क + न्या |
विद्या | वि + द्या कोई अर्थ नहीं |
सागर | ससा + गर |
स्पष्ट है कि रूढ़ शब्द का खंड करने पर उसका कोई अर्थ नहीं निकलता।
2. यौगिक शब्द
शब्दों के मेल से बने वैसे शब्द जिनका प्रत्येक खंड सार्थक हो, यौगिक कहलाते हैं।
जैसे - विद्यालय, पाठशाला, हिमालय, राजकन्या आदि।
यौगिक शब्द | खंड करने पर सार्थक शब्द | |
---|---|---|
राजकन्या | राज + कन्या | (राज-राजा, कन्या लड़की) |
हिमालय | हिम + आलय | (हिम बर्फ, आलय घर) |
स्पष्ट है कि यौगिक शब्द जिन शब्दों के मेल से बनते हैं, अगर इनका खंड किया जाय तो कुछ न कुछ अर्थ अवश्य निकलता है।
3. योगरूढ़ शब्द
योगरूढ़ ऐसे यौगिक शब्द हैं, जो अपने सामान्य या साधारण अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ ग्रहण करते हैं।
जैसे - लम्बोदर (गणेशजी), पंकज (कमल), गिरिधारी (श्रीकृष्ण) वीणापाणि (सरस्वती), हलधर (बलराम) आदि।
योगरूढ़ शब्द | साधारण अर्थ | विशेष अर्थ |
---|---|---|
पंकज (पंक+ज) | कीचड़ में जन्मा | कमल |
लम्बोदर (लम्बा+उदर) | लम्बे पेट वाले | गणेश |
ध्यान दें - कीचड़ में सीप, घोंघा, सैवाल आदि जन्म लेते हैं लेकिन उन्हें पंकज नहीं कहा जाता है। यह यौगिक शब्द (पंकज) सिर्फ कमल के लिए रूढ़ हो गया है। उसी प्रकार लम्बा पेट वाला कुछ भी हो सकता है। ऊँट, हाथी, या कोई मुनष्य, लेकिन यह शब्द (लम्बोदर) भी सिर्फ 'गणेशजी' के लिए रूढ हो गया है। इसलिए ऐसे यौगिक शब्दों को योगरूढ़ कहा जाता है।
रूपांतर के आधार पर
रूपांतर के आधार पर शब्दों के दो भेद हैं-
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
विकारी शब्द
लिंग, वचन आदि के कारण जिन शब्दों का रूप परिवर्तन हो जाता है, वे विकारी शब्द कहलाते हैं। ये संख्या में चार हैं -संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया।
अविकारी शब्द
जिन शब्दों में किसी प्रकार का विकार अथवा परिवर्तन नहीं होता, वे अविकारी शब्द कहलाते हैं।
ये संख्या में चार हैं -
- क्रिया विशेषण
- सम्बन्ध बोधक
- समुच्चय बोधक
- विस्मयादि बोधक
प्रयोग के आधार पर
प्रयोग के आधार पर हिन्दी शब्दावली को तीन भागों में बाँटा गया है-
- सामान्य शब्दावली
- तकनीकी शब्दावली
- अर्द्ध तकनीकी शब्दावली
शब्द से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
'दीदार' शब्द किस भाषा का है?
- अरबी
- फारसी
- हिन्दी
- तुर्की
फारसी
इनमें से कौन-सा शब्द तत्सम है?
- सूरज
- सावन
- रूक्ष
- बिच्छु
रूक्ष
इनमें से कौन-सा शब्द तद्भव है?
- दन्त
- मृत्यु
- मत्स्य
- कन्धा
कन्धा
निम्नलिखित तत्सम-तद्भव में से कौन-सा विकल्प अशुद्ध है?
- नृत्य-नाच
- शृंगार-सिंगार
- चक्षु-आँख
- दधि-दही
चक्षु-आँख
निम्नलिखित में से देशज शब्द है
- वत्स
- पछतावा
- नारियल
- रेवड़
रेवड़
संकर (दो भाषाओं से निर्मित) शब्द इनमें से नहीं है
- टिकटघर
- रेलयात्री
- किताबघर
- चिड़ियाघर
चिड़ियाघर
'हल्दी' का तत्सम शब्द है
- हस्ती
- हीरक
- हरिद्रा
- हरि
हरिद्रा
निम्न में से कौन-सा शब्द तत्सम नहीं है ?
- भोजन
- भाषा
- स्त्री
- कमरा
कमरा
निम्न में से कौन-सा शब्द तद्भव नहीं है?
- आदमी
- तीखा
- ढीट
- जीभ
आदमी
'खिड़की' शब्द निम्न में से क्या है ?
- तद्भव
- विदेशी
- देशज
- तत्सम
देशज
निम्न में से कौन-सा शब्द विदेशी नहीं है?
- चरखा
- कुर्सी
- चमचा
- जूता
जूता
'तत्सम' शब्द में 'तत्' किस भाषा के लिए प्रयुक्त हुआ है?
- पालि
- प्राकृत्
- वैदिक संस्कृत
- संस्कृत
संस्कृत
निम्नलिखित में से देशज' शब्द नहीं है
- खिड़की
- बूट
- पाग
- रीगड़ा
बूट
'पापड़' का तत्सम रूप है
- पर्पट
- पर्पड
- कर्पट
- पर्पड्ड
पर्पट
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द देशज नहीं है?
- गोभी
- मूंगा
- डाभ
- खोपा
गोभी
निम्नलिखित में से तत्सम शब्द है
- स्थायी
- केतकी
- केवड़ा
- करेला
केतकी
इन शब्दों में विदेशी शब्द है
- स्त्री
- नारी
- महिला
- औरत
औरत
इनमें विदेशी शब्द है
- शिक्षा
- रज्जु
- साँस
- जलेबी
जलेबी
जिन शब्दों के भाषा-स्रोत अज्ञात रहते हैं, उनको कहा जाता है
- तद्भव
- विदेशी
- देशज
- अर्द्धतत्सम
देशज
'तत्सम' शब्द है
- लौंग
- मोती
- सितार
- गोपाल
गोपाल
निम्न में से कौन-सा विकल्प तत्सम-तद्भव की दृष्टि से सही नहीं है?
- शूकर-सुअर
- पाषाण-पाहन
- रात्रि-निशा
- नृत्य-नाच
रात्रि-निशा
निम्न में से कौनसा शब्द विदेशी है?
- लोटा
- चाकू
- आटा
- पेट
चाकू
'ताम्र' का तद्भव क्या है?
- चाँदी
- सोना
- ताँबा
- पीतल
ताँबा
तद्भव शब्द 'घड़ी' का तत्सम रूप है?
- घटिका
- घड़ियाल
- घाट
- घण्टी
घटिका
'अंग्रेज-कूपन' शब्द किस भाषा के हैं ?
- अंग्रेजी
- फ्रेंच
- डच
- पुर्तगाली
फ्रेंच
उद्भव के आधार पर निम्न में कौन-सा शब्द भेद नहीं है?
- तत्सम
- रूढ़
- तद्भव
- विदेशी
रूढ़
तत्सम शब्दों का मूल स्रोत है?
- अपभ्रंश
- प्राकृत
- संस्कृत
- पालि
संस्कृत
किस क्रम में देशज शब्द है?
- तमन्ना
- भोंदू
- अग्नि
- अक्षि
भोंदू
'चाय' किस भाषा का शब्द है ?
- चीनी
- जापानी
- अंग्रेजी
- फ्रेंच
चीनी
'वकील' किस भाषा का शब्द है ?
- फारसी
- अरबी
- तुर्की
- पुर्तगाली
अरबी
'रिपोर्ताज' मूलतः किस भाषा का शब्द है?
- फ्रांसीसी
- अंग्रेजी
- पुर्तगाली
- जापानी
फ्रांसीसी
'पुलिस' किस वर्ग का शब्द है?
- तत्सम
- तद्भव
- देशज
- विदेशी
विदेशी
निम्नलिखित में शब्दों का विषम संयोजन कौन-सा है?
- रस्सी-तद्भव
- सरकारी-फारसी
- लीची-तुर्की
- पुरोहित-तत्सम
लीची-तुर्की
'दन्तधावन' से विकसित तद्भव शब्द क्या है ?
- दतौन
- दातौन
- दातुन
- इनमें से कोई नहीं
दातुन
नीचे दिए गए विकल्पों में से तत्सम शब्द है ?
- पड़ौसी
- गोधूम
- बहू
- शहीद
गोधूम
'कन्धा' का तत्सम शब्द है ?
- इस्कन्ध
- स्कन्ध
- कक्षु
- कन्धु
स्कन्ध
संस्कृत के वे शब्द जो हिन्दी में बिना किसी परिवर्तन के प्रयुक्त होते हैं, कहलाते हैं?
- संस्कृत
- तद्भव
- तत्सम
- देशज
तत्सम
किस समूह के सभी शब्द विदेशी है?
- किताब, सिनेमा, संतरा
- काजू, वाचस्पति, जनेउ
- कारतूस, प्रयोजन, कुली
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किताब, सिनेमा, संतरा
दो भिन्न भाषाओं के मेल से बना शब्द कहलाता है?
- तद्भव
- देशज
- विदेशी
- संकर
संकर
FAQ :
शब्द किसे कहते हैं?
वर्णों के सार्थक मेल को ही शब्द कहते हैं। शब्द कैसे बनते हैं? इसका कोई नियम नहीं है। कुछ शब्द सप्रयास बनाए जाते हैं अर्थात उपसर्ग-प्रत्ययों आदि के व्याकरणिक प्रयोगों से; जैसे-आदर, निरादर, सादर आदि। कुछ शब्द एक से अधिक अर्थ देते हैं जिन्हें हम अनेकार्थी कहते हैं तो कभी-कभी एक ही अर्थ के लिए अनेक शब्द होते हैं; जैसे -'कमल' के फूल के लिए जलज, नीरज, अंबुज, पंकज आदि। इस प्रकार शब्दों के अनेक भेद-उपभेद-प्रभेद हो जाते हैं। शब्दों की संरचना किसी वस्तु के विशेष गुण, धर्म, स्वभाव, वृत्ति, देश-काल आदि के अनुसार होती है। समाज प्रतिदिन अपने हिसाब से शब्दों का निर्माण नहीं कर सकता अन्यथा सबका अपना ही शब्दकोश हो जाएगा। शब्दों का अर्थ होना चाहिए और बहुसंख्यक समाज उसे स्वीकार भी करे। यही कारण है कि शब्दों को सार्थक और निरर्थक कहा गया है। अत: वर्णों के मिलने से शब्द बनते हैं।
विकारी शब्द किसे कहते हैं?
लिंग, वचन आदि के कारण जिन शब्दों का रूप परिवर्तन हो जाता है, वे विकारी शब्द कहलाते हैं। ये संख्या में चार हैं -संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया।
अविकारी शब्द किसे कहते हैं?
जिन शब्दों में किसी प्रकार का विकार अथवा परिवर्तन नहीं होता, वे अविकारी शब्द कहलाते हैं।
संकर शब्द किसे कहते हैं?
हिन्दी भाषा में प्रचलित वे शब्द 'संकर शब्द' कहलाते हैं, जिनकी रचना दो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों के योग से हुयी है।
योगरूढ़ शब्द किसे कहते हैं?
योगरूढ़ ऐसे यौगिक शब्द हैं, जो अपने सामान्य या साधारण अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ ग्रहण करते हैं।
यौगिक शब्द किसे कहते हैं?
शब्दों के मेल से बने वैसे शब्द जिनका प्रत्येक खंड सार्थक हो, यौगिक कहलाते हैं।
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