वाक्य की परिभाषा | vakya ki paribhasha

वाक्य की परिभाषा

मानव के विचारों को प्रकट करने वाले शब्द समूह को वाक्य कहते हैं। वाक्य सार्थक शब्दों का व्यवस्थित रूप होता है। शब्द भाषा की प्रारम्भिक अवस्था है और वाक्य उसका विकास है।
जैसे- सभ्यता का विकास होता गया वैसे-वैसे ही वाक्यों के विकास की वृद्धि होती चली गई।
vakya-ki-paribhasha

वाक्य के प्रकार

वाक्यों का वर्गीकरण मुख्यत: तीन दृष्टियों से होता है-
  1. रचना के आधार पर
  2. अर्थ के आधार पर तथा
  3. वाच्य के आधार पर

1. रचना के आधार पर वर्गीकरण
रचना के आधार पर वाक्य के तीन प्रकार होते हैं-
  1. सरल या साधारण वाक्य
  2. मिश्रित वाक्य और
  3. संयुक्त वाक्य

(i) सरल या साधारण वाक्य
एक ही भाव को प्रकट करने वाले वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं। इनमें एक क्रिया होती है और एक कर्ता होता है। जैसे-श्याम जा रहा है।

(ii) मिश्रित वाक्य
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य के अतिरिक्त उसके अधीन अन्य आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। जैसे-वह कौन-सा मनुष्य है, जिसने महात्मा गाँधी का नाम न सुना हो। इसमें वह कौन-सा मनुष्य है' मुख्य उपवाक्य है और शेष सहायक वाक्य है।

मिश्रित वाक्य में आश्रित उपवाक्यों के तीन प्रकार सम्भव हैं-
  1. (क) संज्ञा उपवाक्य
  2. (ख) विशेषण उपवाक्य
  3. (ग) क्रिया विशेषण उपवाक्य
  • (क) संज्ञा उपवाक्य- प्रधान उपवाक्य की क्रिया के कर्म अथवा पूरक के रूप में प्रयोग होने वाला आश्रित उपवाक्य 'संज्ञा उपवाक्य' कहलाता है। जैसे- सभी व्यक्ति जानते हैं कि जैनेन्द्र गांधीवाद से प्रभावित थे।
  • (ख) विशेषण उपवाक्य- प्रधान उपवाक्य की संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले आश्रित उपवाक्य को विशेषण उपवाक्य कहा जाता है। जैसे- यह वह कॉलेज है,जहाँ से मैंने शिक्षा प्राप्त की।
  • (ग) क्रिया विशेषण उपवाक्य- प्रधान उपवाक्य की क्रिया का विशेषण बनने वाले आश्रित उपवाक्य क्रिया विशेषण उपवाक्य कहे जाते हैं। जैसे- मैं वहाँ पहुँचा जहाँ बरगद का वृक्ष सुशोभित है।

(iii) संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में साधारण अथवा मिश्रित वाक्यों का मेल संयोजक अवयवों (शब्दों) द्वारा होता है,उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं । जैसे- 'मैं खाना खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा और दर्द, इतना तेज हो गया कि डॉक्टर को बुलाना पड़ा। इसमें संयोजक शब्द 'और' है जिसने दो मिश्रित वाक्यों को मिलाकर एक संयुक्त वाक्य बनाया है।

2. अर्थ के आधार पर वर्गीकरण
अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ प्रकार होते हैं
  1. विधिवाचक वाक्य
  2. निषेधवाचक वाक्य
  3. प्रश्नवाचक वाक्य
  4. आज्ञावाचक वाक्य
  5. इच्छावाचक वाक्य
  6. विस्मयवाचक वाक्य
  7. सन्देहवाचक वाक्य
  8. संकेतवाचक वाक्य
  1. विधिवाचक वाक्य - साधारणतः जिस वाक्य में किसी बात का उल्लेख किया जाता है,उसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं। जैसे-श्याम नित्यप्रति घूमने जाता है।
  2. निषेधवाचक वाक्य - जिन वाक्यों में ना या निषेध का भाव होता है, वे निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे-राम आज पढ़ने नहीं आयेगा।
  3. प्रश्नवाचक वाक्य - जिन वाक्यों में प्रश्न किया जाता है, वे प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे- क्या आप मेला देखने जायेंगे।
  4. आज्ञावाचक वाक्य - जिन वाक्यों में आज्ञा देने का भाव पाया जाता है, वे आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं । जैसे-तुम विद्यालय जाओ।
  5. इच्छावाचक वाक्य - इच्छा, आशीष या निवेदन प्रकट करने वाले वाक्य इच्छा वाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे-ईश्वर करे, तुम्हारी नौकरी लग जाये।
  6. विस्मयवाचक वाक्य - जिन वाक्यों से हर्ष,शोक, दर्द, भय,क्रोध,घृणा आदि प्रकट हों, वे विस्मयवाचक वाक्य कहलाते हैं। जैसे-आह ! कितना भयानक दृश्य है।
  7. सन्देहवाचक वाक्य - सन्देह या सम्भावना प्रकट करने वाले वाक्य सन्देहवाचक वाक्य कहलाते हैं । जैसे-सम्भवत: वह लौट नहीं पायेगा।
  8. संकेतवाचक वाक्य - जिन वाक्यों से एक क्रिया के दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध होता है,वे संकेतवाचक वाक्य कहे जाते हैं। जैसे-पानी न बरसता तो धान सूख जाते।

3. वाच्य के आधार पर वर्गीकरण
वाच्य के आधार पर वाक्य के तीन प्रकार हैं-
  1. कर्तृवाच्य
  2. कर्मवाच्य
  3. भाव वाच्य
  1. कर्तृवाच्य वाक्य - कर्तृवाच्य वाक्यों में कर्ता की प्रधानता होती है । क्रिया का कर्ता से सीधा सम्बन्ध होता है । उसका लिंग निर्धारण भी कर्ता के अनुसार निर्धारित होता है जैसे-मनीष घर जा रहा है।
  2. कर्मवाच्य - कर्मवाच्य वाक्यों में क्रिया का कर्म से सीधा सम्बन्ध होता है । क्रिया का रूप कर्म के अनुसार परिवर्तित होता है। इसकी मुख्य क्रिया सकर्मक होती है। जैसे किसानों द्वारा खेत जोता गया।
  3. भाववाच्य वाक्य - भाववाच्य वाक्यों में कर्ता और कर्म की प्रधानता न होलरक्रिया की प्रधानता होती है। वाक्य का भाव भी क्रिया पर आश्रित होता है। इनमें क्रिया का पुरुष,वचन एवं लिंग सदैव अन्य पुरुष, एकवचन तथा पुल्लिग में ही रहते हैं। जैसे-सुशीला से दौड़ा नहीं जाता है।

वाक्य परिवर्तन

किसी वाक्य को दूसरे प्रकार के वाक्य में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को वाक्य परिवर्तन कहते हैं। परिवर्तन करने से वाक्य का अर्थ नहीं बदलना चाहिए।

(1) सरल या साधारण वाक्य से मिश्रित वाक्य में परिवर्तन
साधारण वाक्य मिश्रित वाक्य
(i) परिश्रम करने वाले छात्र सफल हो जाते हैं। जो छात्र परिश्रम करते हैं, वे सफल हो जाते हैं।
(ii) अच्छे लड़के मेहनती होते हैं। जो लड़के अच्छे होते हैं, वे मेहनती होते हैं।
(iii) स्वस्थ रहने के लिए तुम्हें दूध पीना चाहिए। यदि स्वस्थ रहना है तो तुम्हें दूध पीना चाहिए।
(iv) सरस कवि का सब आदर करते हैं। जो कवि सरस होता है, उसका आदर सब करते हैं।
(v) मनु ने अलौकिक दृश्य देखा। मनु ने एक दृश्य देखा, जो अलौकिक था।
(vi) उसने अपने मित्र का घर खरीदा। उसने उस घर को खरीदा, जो उसके मित्र का था।

(2) सरल या साधारण वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन
साधारण वाक्य संयुक्त वाक्य
(i) निर्धन होने पर भी वह ईमानदार है। वह निर्धन है, किन्तु ईमानदार है।
(ii) अस्वस्थ होने के कारण वह परीक्षा में सफल न हो सका। वह अस्वस्थ था और इसीलिए परीक्षा में सफल न हो सका।
(iii) वह भोजन करके विद्यालय जाता है। वह भोजन करता है और विद्यालय जाता है
(iv) सूर्य उगते ही कुहासा छंट गया। सूर्य उगा और कुहासा छंट गया।
(v) सूर्यास्त होने पर अन्धकार छा गया। सूर्यास्त हुआ और अन्धकार छा गया।
(vi) निर्धन को लूटने के अलावा उसने उसकी हत्या कर दी। उसने न केवल निर्धन को लूटा अपितु उसकी हत्या भी कर दी।

(3) मिश्रित वाक्य से संयुक्त वाक्य में परिवर्तन
मिश्रित वाक्य संयुक्त वाक्य
(i) यद्यपि वह अच्छा खेला, फिर भी हार गया। वह अच्छा खेला, किन्तु हार गया।
(ii) ज्यों ही वह आया त्यों ही सो गया। वह आया और तुरन्त ही सो गया।
(iii) जब मन्त्री का भाषण समाप्त हो गया तब वे घर आ गए। मन्त्री का भाषण समाप्त हो गया और वे घर आ गए।
(iv) जब विद्यालय में पढ़ाई बन्द हो गई, तब हम घर लौट आये। विद्यालय में पढ़ाई बन्द हो गई और हम घर लौट आये।
(v) यदि आप घर पर आएँ तो आपसे बात हो। आप घर आइए और बात कीजिए।

(4) मिश्रित वाक्य से सरल वाक्य में परिवर्तन
मिश्रित वाक्य सरल वाक्य
(i) राम ने कहा कि वह निर्दोष है। राम ने स्वयं को निर्दोष घोषित किया।
(ii) जो छात्र परिश्रम करेंगे, उन्हें सफलता अवश्य मिलेगी। परिश्रमी छात्रों को अवश्य सफलता मिलेगी।
(iii) मुझे बताओ कि आपका जन्म कहाँ और कब हुआ था। आप मुझे अपने जन्म का स्थान और समय बताओ।

(5) संयुक्त वाक्य से मिश्रित वाक्य में परिवर्तन
संयुक्त वाक्य मिश्रित वाक्य
(i) मैं अच्छा खेला, किन्तु हार गया। यद्यपि मैं अच्छा खेला, फिर भी हार गया।
(ii) वह विलम्ब से कक्षा में आयी और शिक्षिका बिगड़ उठी। जब वह विलम्ब से कक्षा में आयी, तब शिक्षिका बिगड़ उठी।
(iii) राम स्टेशन पहुँचा, किन्तु गाड़ी छूट चुकी थी। जब तक राम स्टेशन पहुँचा, तब तक गाड़ी छूट चुकी थी।

(6) विधिवाचक वाक्य से निषेधवाचक वाक्य में परिवर्तन
विधिवाचक वाक्य निषेधवाचक वाक्य
(i) श्याम घर में सबसे मोटा है। घर में श्याम से मोटा कोई नहीं है।
(ii) दिल्ली देश में सबसे बड़ा महानगर है। देश में दिल्ली से बड़ा कोई नगर नहीं है।
(iii) मोहन स्वस्थ है। मोहन अस्वस्थ नहीं है।
(iv) श्याम धनी व्यक्ति है। श्याम गरीब व्यक्ति नहीं है।

(7) विधिवाचक वाक्य से प्रश्नवाचक वाक्य में परिवर्तन
विधिवाचक वाक्य प्रश्नवाचक वाक्य
(i) सत्य की सदा जीत होती है। क्या सत्य की सदा जीत नहीं होती है?
(ii) चिन्मय बुद्धिमान है। क्या चिन्मय बुद्धिमान नहीं है?
(iii) शीला घर जा रही है। क्या शीला घर नहीं जा रही है?
(iv) वह परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया। क्या वह परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया?

(8) विधिवाचक वाक्य से आज्ञावाचक वाक्य में परिवर्तन
विधिवाचक वाक्य आज्ञावाचक वाक्य
(i) गुरु का सम्मान करना चाहिए। गुरु का सम्मान करो।
(i) पार्थ भोजन करना चाहता है। पार्थ भोजन करो।
(iii) तुम देश की सेवा करते हो। तुम देश की सेवा करो।
(iv) रमेश पुस्तक पढ़ता है। रमेश पुस्तक पढ़ो।

(9) कर्तृवाच्य वाक्य से कर्मवाच्य वाक्य में परिवर्तन
कर्तृवाच्य वाक्य कर्मवाच्य वाक्य
(i) मोहन खाना खाता है। मोहन के द्वारा खाना खाया जाता है।
(ii) तुम विज्ञान पढ़ते हो। तुम्हारे द्वारा विज्ञान पढ़ा जाता है।
(iii) श्याम गाना गाता है। श्याम द्वारा गाना गाया जाता है।
(iv) राम घर जाता है। राम द्वारा घर जाया जाता है।

(10) कर्तृवाच्य वाक्य से भाववाच्य वाक्य में परिवर्तन
कर्तृवाच्य वाक्य भाववाच्य वाक्य
(i) राम हँसता है। राम से हँसा जाता है।
(ii) श्याम लिखता है। श्याम से लिखा जाता है।
(iii) अभिषेक खेला। अभिषेक से खेला गया।

शुद्ध वाक्य रचना

शब्दों के क्रमबद्ध सार्थक समूह को वाक्य कहते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि जिस वाक्य का प्रयोग किया जाये वह शुद्ध होना चाहिए। शुद्ध वाक्य ही सही भाव व्यक्त करता है। हम दैनिक व्यवहार की भाषा में विभिन्न प्रकार की त्रुटियाँ कर जाते हैं, इससे अर्थ का अनर्थ हो जाता है। जैसे राम की सौभाग्यवती पुत्री का विवाह होने जा रहा है।' वाक्य में 'सौभाग्यवती' शब्द का प्रयोग अशुद्ध है। सौभाग्यवती विवाहित महिला होती है। इसलिए शुद्ध वाक्य होगा 'राम की सौभाकंक्षिणी पुत्री का विवाह होने जा रहा है।'
वाक्य रचना में संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, लिंग, वचन, काल, परसर्ग,उपसर्ग,वर्तनी आदि का ध्यान रखना होता है। इन्हीं की त्रुटियाँ वाक्यों में पाई जाती हैं।

(क) संज्ञा सम्बन्धी अशुद्धियाँ- कभी-कभी संज्ञा के अनावश्यक प्रयोग कर देने के कारण वाक्य में शिथिलता तथा भाषा में अशुद्धता आ जाती है।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. यह लोगों की दासता गुलामी का परिणाम है। यह लोगों की दासता का परिणाम है।
2. बेकारी समस्या की दवा हमारे पास है। बेकारी समस्या का हल हमारे पास है।
3. इसी कार्य में तुम्हारी अच्छाई है। इसी कार्य में तुम्हारी भलाई है।
4. 'बादल' नामक शीर्षक से अवतरित है। 'बादल' शीर्षक से अवतरित है।
5. इस पुस्तक की यही अच्छाई है। इस पुस्तक की यही विशेषता है।

(ख) सर्वनाम सम्बन्धी अशुद्धियाँ- संज्ञा की भाँति लोग सर्वनाम के पुरुष, लिंग और वचन का अनुचित और अनियमित प्रयोग कर देते हैं जिससे वाक्य अशुद्ध हो जाता है।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. राम और राम का पुत्र बाजार गया। राम और उसका पुत्र बाजार गए।
2. मेरे को कपड़े सिलवाने हैं। मुझे कपड़े सिलवाने हैं।
3. वह तेरे को पैसे नहीं देगा। वह तुझे पैसे नहीं देगा।
4. तुम तुम्हारी पुस्तक ले जाओ। तुम अपनी पुस्तक ले जाओ।
5. मैं निज में वहाँ जाना चाहता हूँ। मैं स्वयं वहाँ जाना चाहता हूँ।
6. वह जो पुस्तक है वह गोपाल की है। वह पुस्तक गोपाल की है।
7. यह उन्हें समझ में नहीं आयेगा। यह उनकी समझ में नहीं आयेगा।
8. हम हमारे पिताजी की आज्ञा का पालन करते हैं। हम अपने पिताजी की आज्ञा का पालन करते हैं।
9. उसके आँख से आँसू निकल पड़ा। उसकी आँख से आँसू निकल पड़ा।
10. मैंने मेरा काम कर लिया है। मैंने अपना काम कर लिया है।

(ग) विशेषण सम्बन्धी अशुद्धियाँ- संज्ञा और सर्वनाम की भाँति विशेषण के अनावश्यक या अपूर्ण प्रयोग से वाक्य में अशुद्धियाँ आ जाती हैं।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. यहाँ कोई एक व्यक्ति नहीं है। यहाँ कोई व्यक्ति नहीं है।
2. यह हमारा वाला घर है। यह हमारा घर है।
3. आपकी रचना श्रेष्ठतम है। आपकी रचना श्रेष्ठ है।
4. श्याम की माँ भारी दु:खी है। श्याम की माँ बहुत दुःखी है।
5. आज दिन भर बेशुमार गर्मी रही। आज दिनभर बहुत गर्मी रही।
6. आकाश बहुत उच्च है। आकाश बहुत विशाल है।
7. यह झील बहुत सघन है। यह झील बहुत गहरी है।
8. बाजार में वस्तुएँ भारी महँगी हैं। बाजार में वस्तुएँ बहुत महँगी हैं।

(घ) क्रिया सम्बन्धी अशुद्धियाँ- वाक्य में क्रियाओं का प्रयोग करते समय बहुत-सी अशुद्धियाँ हो जाती हैं जिससे वाक्य-रचना अटपटी सी लगती है।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. इस प्रश्न का हल करने की आवश्यकता है। इस प्रश्न के हल की आवश्यकता है।
2. इस कथन का स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता है। इस कथन के स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
3. उसको दुर्जन कहकर पुकारना अनुचित है। उसको दुर्जन कहना अनुचित है।
4. लड्डु और लस्सी पीकर हमने यात्रा की। लड्डु और लस्सी खा-पीकर हमने यात्रा की।
5. इस समय वह निद्रा ले रहा है। इस समय वह सो रहा है।
6. महादेवजी को अभिनन्दन ग्रन्थ दिया गया। महादेवजी को अभिनन्दन ग्रन्थ भेंट किया गया।
7. लो, झील भी पार हो गई। लो, झील भी पार कर ली।
8. उन्हें डॉक्टर की उपाधि वितरित की। उन्हें डॉक्टर की उपाधि प्रदान की।
9. मारकोनी ने बेतार के तार की खोज की। मारकोनी ने बेतार के तार का आविष्कार किया।
10. कोलम्बस ने अमेरिका का आविष्कार किया। कोलम्बस ने अमेरिका की खोज की।

(ङ) दूषित अर्थ सम्बन्धी अशुद्धियाँ- कुछ अशुद्धियाँ ऐसी होती हैं जिनसे अर्थ में बाधा होती है।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. यह उसका छोटा-सा बेटा है। यह उसका छोटा बेटा है।
2. आज वह सच प्रमाण देगा। आज वह सच्चा प्रमाण देगा।
3. बहुत-सा व्यक्ति आ रहा है। बहुत से व्यक्ति आ रहे हैं।
4. अच्छा वाला व्यक्ति आ रहा है। अच्छा व्यक्ति आ रहा है।

(च) क्रम तथा क्रम संख्या सम्बन्धी अशुद्धियाँ- कभी-कभी व्यक्ति क्रम तथा क्रम संख्या सम्बन्धी अशुद्धियाँ कर देते हैं।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. गहरी आगे एक झील मिलेगी। आगे एक गहरी झील मिलेगी।
2. ऐसी पुस्तक सुन्दर नहीं देखी। ऐसी सुन्दर पुस्तक नहीं देखी।
3. ऐसी लड़की सुन्दर देखी कभी नहीं थी। ऐसी सुन्दर लड़की कभी नहीं देखी।
4. 5वाँ प्रश्न कीजिए। पाँचवाँ या पंचम प्रश्न कीजिए।
5. 10वीं कक्षा उद्दण्ड है। दसवीं कक्षा उद्दण्ड है।

(छ) लिंग और वचन सम्बन्धी अशुद्धियाँ- लिंग और वचन की अशुद्धियों से बचने के लिए अन्विति (मेल) का ज्ञान आवश्यक है।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. हमारे वस्तुओं का ध्यान रखना। हमारी वस्तुओं का ध्यान रखना।
2. लोग इस फूल की माला पहनते हैं। लोग इन फूलों की माला पहनते हैं।
3. सारी रूप विकृत हो गया। सारा रूप विकृत हो गया।
4. बहुत-सी बातें सीखना पड़ता है। बहुत-सी बातें सीखनी पड़ती हैं।
5. इस कार्य में देर लगनी स्वाभाविक है। इस कार्य में देर लगना स्वाभाविक है।
6. एक व्यक्ति को दो पुस्तक नहीं मिलेगा। एक व्यक्ति को दो पुस्तकें नहीं मिलेंगी।
7. अध्यापक ने प्रधानाचार्य से भेंट किया। अध्यापक ने प्रधानाचार्य से भेंट की।
8. महादेवी वर्मा वेदना की कवि थीं। महादेवी वर्मा वेदना की कवयित्री थीं।
9. सावित्री को यह धोती ठीक आयेगा। सावित्री को यह धोती ठीक आयेगी।
10. क्या आप खा लिये हैं? क्या आपने खा लिया है?
11. क्या आप जा सकोगे? क्या आप जा सकेंगे?
12. मोहन का प्राण निकलने वाला है। मोहन के प्राण निकलने वाले हैं।

(ज) परसर्ग सम्बन्धी अशुद्धियाँ- कारक चिह्न परसर्ग कहलाते हैं। कर्ता कारक के लिए 'ने',कर्म कारक के लिए को',कारण कारक के लिए से',द्वारा,सम्प्रदान कारक के लिए 'को', के लिए', अपादान कारक के लिए से', सम्बन्ध कारक के लिए 'का', 'के', 'की', 'रा', 'री', 'र' एवं अधिकरण कारक के लिए 'में', 'पर' परसर्ग प्रयोग किये जाते हैं।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. मैं कहा कि मैं पुस्तक खरीदूंगा। मैंने कहा कि मैं पुस्तक खरीदूंगा।
2. इस रहस्य को मत बताना। यह रहस्य मत बताना।
3. शत्रुओं ने शहर को घेर लिया। शत्रुओं ने शहर घेर लिया।
4. उसने नीचे को देख करके कहा। उसने नीचे देखकर कहा।
5. आप वहाँ आना चाहिए। आपको वहाँ आना चाहिए।
6. आपको भगवान को पूजना चाहिए। आपको भगवान की पूजा करनी चाहिए।
7. हमारी पुस्तक के अन्दर लिखा है। हमारी पुस्तक में लिखा।
8. उनके विरुद्ध मुकदमा चलाया गया। उस पर मुकदमा चलाया गया।
9. वे आज ताज द्वारा आयेंगे। वे आज ताज से आयेंगे।
10. रमेश पुस्तक को पढ़ता है। रमेश पुस्तक पढ़ता है।
11. सुभाषचन्द्र बोस ने बड़े-बड़े कष्टों को सहन किया। सुभाषचन्द्र बोस ने बड़े-बड़े कष्ट सहन किये।
12. आपने यह बात किसके द्वारा सुनी। आपने यह बात किससे सुनी।

(झ) काल सम्बन्धी अशुद्धियाँ- क्रिया के रूप से जिस समय का बोध होता है, उसे 'काल' कहते हैं। वाक्य रचना में काल का सही प्रयोग आवश्यक है। वाक्य में कर्ता, कर्म एवं क्रिया में से एक की प्रधानता रहती है। इसका ज्ञान वाच्य के माध्यम से होता है।
वाच्य तीन प्रकार के होते हैं-
  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य
काल सम्बन्धी अशुद्धियों के कुछ उदाहरण यहाँ हैं-
अशुद्ध शुद्ध
1. मन्त्री ने घर गया और सोया। मन्त्री घर गया और सो गया।
2. अध्यापक ने हमसे निबन्ध लिखाया। अध्यापक ने हमसे निबन्ध लिखवाया।
3. भाई ने हल चलवाया। भाई ने हल चलाया।
4. सैनिकों ने चौकी जीती गई। सैनिकों द्वारा चौकी जीती गई।
5. माताजी ने मुझसे पानी भराया। माताजी ने मुझसे पानी भरवाया।

(ञ) वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ- शुद्ध भाषा के लिए वर्तनी का सही प्रयोग आवश्यक है। उच्चारण के दोष असावधानी या अभ्यास के अभाव के कारण वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ होती हैं।
उन त्रुटियों के रूप इस प्रकार हैं-

(1) स्वर या मात्रा सम्बन्धी त्रुटियाँ - इनमें त्रुटि का आधार स्वर या मात्रा होती है। इनमें शब्द में स्वर या मात्रा का गलत प्रयोग कर दिया जाता है।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. मोहन राम आधीन काम करता है। मोहन राम के अधीन काम करता है।
2. प्रातःकाल बादाम की ठंडाई बनती है। प्रातः काल बादाम की ठंडाई बनती है।
3. संसारिक बातें जाननी चाहिए। सांसारिक बातें जाननी चाहिए।
4. यह कृती प्रेमचन्द की है। यह कृति प्रेमचन्द की है।
5. अच्छी तिथी को समारोह करेंगे। अच्छी तिथि को समारोह करेंगे।
6. श्याम इण्टर की परिक्षा में पास हो गया। श्याम इण्टर की परीक्षा में पास हो गया।
7. देवनागरी लिपी वैज्ञानिक है। देवनागरी लिपि वैज्ञानिक है।
8. कल मधू घर आयी थी। कल मधु घर आयी थी।
9. हम सब मालुम है। हम सब को मालूम है।
10. पक्षी पैड़ पर बैठा है। पक्षी पेड़ पर बैठा है।
11. जेसा करेगा वैसा भरेगा। जैसा करेगा वैसा भरेगा।
12. मुम्हें दरवाजा खौलना है। तुम्हें दरवाजा खोलना है।
13. नोका पर बैठकर नदी पार की। नौका पर बैठकर नदी पार की।
14. विरहणी व्याकुल थी। विरहिणी व्याकुल थी।
15. हवन की सामित्री चाहिए। हवन की सामग्री चाहिए।

(2) व्यंजन सम्बन्धी त्रुटियाँ- सही व्यंजन के प्रयोग के अभाव में वाक्य त्रुटिपूर्ण हो जाते हैं।
गलत व्यंजन के प्रयोग सम्बन्धी कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं-
अशुद्ध शुद्ध
1. सब कल्यान चाहते हैं। सब कल्याण चाहते हैं।
2. सड़क पर कंकण पड़े हैं। सड़क पर कंकड़ पड़े हैं।
3. साम को वाजार जाना है। शाम को बाजार जाना है।
4. विजली बार-बार जाती है। बिजली बार-बार जाती है।
5. जम के दूत आ गये। यम के दूत आ गये।
6. जमुना का पानी नीला है। यमुना का पानी नीला है।
7. कलस भरकर रख दो। कलश भरकर रख दो।
8. उसका स्वसुर अच्छा है। उसका श्वसुर अच्छा है।
9. निबन्ध का शीर्षक बताओ। निबन्ध का शीर्षक बताओ।
10. यह दुस्कर कार्य है यह दुष्कर कार्य है।
11. अपनी अभीष्ट प्राप्त करो। अपना अभीष्ट प्राप्त करो।
12. तुम्हारी निष्टा किसमें है। तुम्हारी निष्ठा किसमें है।
13. शुभ नच्छत्र आ गया है। शुभ नक्षत्र आ गया है।
14. उसे छमा कर दो। उसे क्षमा कर दो।
15. क्षात्र कक्षा में बैठे हैं। छात्र कक्षा में बैठे हैं।
16. घन्टा बजाने का समय हो गया। घण्टा बजाने का समय हो गया।

(3) समास सम्बन्धी त्रुटियाँ- एक से अधिक पदों को मिलाकर एक शब्द बनाना समास है। कभी-कभी इस प्रक्रिया में त्रुटियाँ हो जाती हैं।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. निरपराधी जेल में है। निरपराध जेल में है।
2. नगर दुरावस्था देखी नहीं जाती। नगर की दुरवस्था देखी नहीं जाती।
3. यहाँ तो रामराज है। यहाँ तो रामराज्य है।
4. निगुण को कौन समझावे। निर्गुण को कौन समझावे।
5. आज मन्त्रीमण्डल की बैठक होगी। आज मन्त्रिमण्डल की बैठक होगी।

(4) सन्धि सम्बन्धी त्रुटियाँ- दो या दो से अधिक शब्दों के योग को सन्धि कहते हैं। सन्धि सम्बन्धी अशुद्धि प्रायः हो जाती हैं।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. समय का सदोपयोग करना चाहिए। समय का सदुपयोग करना चाहिए।
2. उपरोक्त कथन सत्य है। उपर्युक्त कथन सत्य है।
3. अनाधिकार चेष्ठा मत करो। अनाधिकार चेष्टा मत करो।
4. हमें निर्पेक्ष भाव से कर्म करना चाहिए। हमें निरपेक्ष भाव से कर्म करना चाहिए।
5. इस बार अत्याधिक गर्मी है। इस बार अत्यधिक गर्मी है।
6. इसमें वृत्यानुप्रास अलंकार है। इसमें वृत्यनुप्रास अलंकार है।

(5) विसर्ग सम्बन्धी त्रुटियाँ- विसर्ग का उच्चारण 'ह' वर्ण के निकट होने के कारण अज्ञानवश बहुत-सी अशुद्धियाँ हो जाती हैं,जबकि संस्कृत में सन्धि करते समय यह र,श,स,ष आदि वर्गों में परिवर्तित हो जाता है। विसर्ग सम्बन्धी अशुद्धियों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
अशुद्ध शुद्ध
1. वह निस्वार्थ सेवा करता है। वह निःस्वार्थ सेवा करता है।
2. दुशासन दुर्योधन का भाई था। दुःशासन दुर्योधन का भाई था।
3. नाटक में प्रवेश निशुल्क है। नाटक में प्रवेश निःशुल्क है।
4. वह मूलतह भारतीय है। वह मूलतः भारतीय है।
5. उसका दुख निवारण करो। उसका दुःख निवारण करो।

(6) मुहावरों के प्रयोग सम्बन्धी त्रुटियाँ- मुहावरे भाषा को प्रभावोत्मक बनाते हैं, किन्तु इनके अशुद्ध प्रयोग से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। कुछ उदाहरण दृष्टव्य हैं-
अशुद्ध शुद्ध
1. मुझसे हृदय-लगी मत करो। मुझसे दिल्लगी मत करो।
2. उस पर कोई रंग न पड़ा। उस पर कोई रंग न चढ़ा।
3. अपना दोष दूसरों पर क्यों जड़ते हो। अपना दोष दूसरों पर क्यों मढ़ते हो।
4. उस पर घड़ों पानी गिर गया। उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
5. राम का हृदय घुट रहा है। राम का दम घुट रहा है।

(7) विराम चिन्हों सम्बन्धी त्रुटियाँ- हिन्दी में विराम चिह्न का सही प्रयोग न होने पर कुछ का कुछ भाव व्यक्त हो जाता है।
यथा-
अशुद्ध शुद्ध
1. वह क्या कर रहा है। वह क्या कर रहा है?
2. राम श्याम मोहन आदि सो रहे हैं। राम,श्याम, मोहन आदि सो रहे हैं।
3. पास पास बैठिये। पास-पास बैठिए।
4. उद्धव शान्त रहो। उद्धव ! शान्त रहो।
5. महात्मा गाँधी ने कहा देश स्वतन्त्र होकर रहेगा। महात्मा गांधी ने कहा, 'देश स्वतन्त्र होकर रहेगा।'
6. रामसिंह तो मर गये। रामसिंह तोमर गये।

विभिन्न प्रकार की अशुद्धियों के उदाहरण
अशुद्ध शुद्ध
1. गाँधीजी का व्यक्तित्व एक महान व्यक्तित्व है। गांधीजी का व्यक्तित्व महान् है।
2. उसे अपनी शिक्षा के अहंकार पर गर्व है। उसे अपनी शिक्षा पर गर्व है।
3. पिछली 20 मार्च को कौन-सी तारीख थी? पिछली 20 मार्च को कौन-सा दिन था?
4. प्रत्येक प्रत्याशियों को जनसम्पर्क करना चाहिए। प्रत्येक प्रत्याशी को जनसम्पर्क करना चाहिए।
5. अगले वर्ष हम कश्मीर गये थे। पिछले (या गत) वर्ष हम कश्मीर गये थे
6. पाँच बजने को पाँच मिनट हैं। पाँच बजने में पाँच मिनट हैं।
7. मैं अपनी स्वेच्छा से वहाँ गया था। मैं स्वेच्छा से वहाँ गया था।
8. रविवार के दिन छुट्टी रहती है। रविवार को छुट्टी रहती है।
9. उसने राम को माला समर्पण की। उसने राम को माला अर्पित की।
10. जंगल में शेर गरजता है। जंगल में शेर दहाड़ता है।
11. महादेवी हिन्दी की कवि थीं। महादेवी हिन्दी की कवयित्री थीं।
12. आपकी प्रार्थना पत्र मिल गई। आपका प्रार्थना-पत्र मिल गया।
13. वे सब काल चक्र के पहिये के नीचे पिस गये। वे सब काल चक्र के नीचे दब गये।
14. यह कविता अनेक भावों को प्रकट करता है। यह कविता अनेक भावों को प्रकट करती है।
15. यह चित्र,श्री शारदा जी नागौर पधारे थे. उस समय लिया गया था। श्री शारदा जी के नागौर पधारने पर यह चित्र लिया गया था।
16. आप चाहें तो काम बन जायेगा। आप चाहें तो काम बन सकता है।
17. माँ-बच्चे दोनों बीमार पड़ गयी। माँ और बच्चे दोनों बीमार पड़ गये।
18. उसने इस गीत को दो चार लड़ियाँ गाई। उसने इस गीत की दो-चार कड़ियाँ गाईं।
19. प्रेम करना तलवार की नोंक पर चलना है। प्रेम करना तलवार की धार पर चलना है।
20. नेताजी ने सभा में क्रोध प्रकट किया। नेताजी ने सभा में रोष प्रकट किया।
21. वह ईश्वर पर आत्म विश्वास करता है। वह ईश्वर पर विश्वास करता है।
22. सज्जनता व्यक्ति का प्रमुख चिन्ह है। सज्जनता व्यक्ति का प्रमुख लक्षण है।
23. मुझे आज मीटिंग का समाचार नहीं था। मुझे आज की मीटिंग की सूचना नहीं थी।
24. पानी में कौन पड़ गया? पानी में क्या पड़ गया?
25. उनसे कहना कि कौन-सा प्रस्ताव वे रख रहे हैं उचित है या नहीं। उनसे कहना कि जो प्रस्ताव वे रख रहे हैं वह उचित है या नहीं।
26. वह चप्पल डालकर ऑफिस गया। वह चप्पल पहनकर ऑफिस गया।
27. उसका बहुत भारी सम्मान हुआ। उसका बड़ा भारी सम्मान हुआ।
28. यह भोजन पचास आदमी के लिए है। यह भोजन पचास आदमियों के लिए है।
29. महामना मालवीय देश के परम पूज्यनीय नेता थे। महामना मालवीय देश के परम पूजनीय नेता थे।
30. उसने पिता के चरणों के लिए सिर झुकाया। उसने पिता के चरणों में सिर झुकाया।
31. क्या तुमने प्रार्थना-पत्र पर अपना हस्ताक्षर कर दिया है। क्या तुमने प्रार्थना-पत्र पर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं।
32. मुझे मदन से सौ रुपया प्राप्त पाना हैं। मुझे मदन से सौ रुपये प्राप्त करने हैं।
33. आज हमने कई काम करने/निपटाने हैं। आज हमें कई काम निपटाने हैं।
34. लोगों की शिकायत सुनते-सुनते मेरा कान पक गया। लोगों की शिकायत सुनते-सुनते मेरे कान पक गये।
35. प्रदेश में मंत्रीमण्डल का विस्तार हो गया। प्रदेश के मन्त्रिमण्डल का विस्तार हो गया।
36. यहाँ ताजे गन्ने का रस मिलता है। यहाँ गन्ने का ताजा रस मिलता है।
37. एक फूल की माला बनाओ। फूलों की एक माला बनाओ।
38. हाथी जा रही थी। हाथी जा रहा था।
39. राम ने अनेकों राक्षस मारे। राम ने अनेक राक्षस मारे।
40. मान्यनीय मंत्री जी ने आस्वासन दिया है। माननीय मंत्री जी ने आश्वासन दिया है।
41, मैं आपका आर्शीवाद चाहता हूँ। मैं आपका आशीर्वाद चाहता हूँ।
42. बालिका बुद्धिमान् है। बालिका बुद्धिमती है।
43. रमेश को तीन पुत्र हैं। रमेश के तीन पुत्र हैं।
44. वह कल सबेरे प्रातः आएगा। वह कल सवेरे आएगा।
45. मैं आपके आधीन नहीं हूँ। मैं आपके अधीन नहीं हूँ।
46. तुम तो घोड़े में सवार हो। तुम तो घोड़े पर सवार हो।
47. सुभाषचन्द्र का देश सदा ऋणी रहेगा। देश सुभाषचन्द्र का सदैव ऋणी रहेगा।
48. एक फूलों की माला ले लाइए। फूलों की एक माला ले आइए।
49. हम हमारे लोगों को नहीं पहचानते। हम अपने लोगों को नहीं पहचानते।
50. जन्मतिथी में परिवर्तन सम्भव नहीं है। जन्मतिथि में परिवर्तन असम्भव है।
51. उसके नाक से खून निकलने लगा। उसकी नाक से खून निकलने लगा।
52. आज की वर्तमान स्थिति विषम है। वर्तमान स्थिति विषम है।
53. वह कल सायंकल के समय जाएगा। वह कल सायंकाल जाएगा।
54. तुम तो कुर्सी में बैठे हो। तुम तो कुर्सी पर बैठे हो।
55. क्या वह अपनी परीक्षा दी। क्या उसने अपनी परीक्षा दी।
56. वह आज दो पुस्तक खरीदी। उसने आज दो पुस्तकें खरीदीं।
57. खड्ग एक उपयोगी अस्त्र है। खड्ग एक उपयोगी शस्त्र है।
58. तुम दो वहाँ पुस्तक पढ़ो तुम दोनों वहाँ पुस्तक पढ़ो।
59. पुस्तकें ये किसकी हैं? ये पुस्तकें किसकी हैं?
60. ताजा हवा अच्छी होती है। ताजी हवा अच्छी होती है।
61. पाँच आदमी का खाना बनाना है। पाँच आदमियों का खाना बनाना है।
62. वह धर्मार्थ के लिए दान दे रहा है। वह धर्मार्थ दान दे रहा है।
63. उपरोक्त कथन ठीक है। उपर्युक्त कथन ठीक है।
64. मैं सरकारी मिट्टी के तेल की दुकान पर गया। मैं मिट्टी के तेल की सरकारी दुकान पर गया।
65. बेफिजूल में समय बर्वाद न करें। फिजूल में समय बर्बाद न करें।
66. उसने गांधी कैप टोपी लगा रखी है। उसने गांधी टोपी लगा रखी है।
67. आप आशिरवाद देकर कृतार्थ करें। आप आशीर्वाद देकर कृतार्थ करें।
68. हाथी के दहाड़ने से सभी डर गये। हाथी के चिंघाड़ने से सभी डर गये।
69. मैंने एक आवश्यक कार्य करना है। मुझे एक आवश्यक कार्य करना है।
70. कृपया पत्र का उत्तर शीर्घ देने की कृपा करें। पत्र उत्तर शीघ्र देने की कृपा करें।

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