वर्तनी किसे कहते है? परिभाषा और उदाहरण | Vartani

वर्तनी किसे कहते है?

शब्दों के वर्ण-क्रम को वर्तनी कहते हैं। वर्तनी के बदलते ही या तो शब्द के अर्थ बदल जाते हैं, या वे निरर्थक हो जाते हैं। उदाहरणतया 'मार' शब्द की मात्रा का स्थान बदल जाए तो वह 'मरा' हो जाएगा।
vartani in hindi
यदि मात्रा लगाना भूल जाएँ तो 'मर' हो जाएगा। यदि 'र' और 'म' बदल जाएँ तो 'राम' या 'रमा' हो जाएगा। इसलिए वर्तनी का पूरा ध्यान रखना चाहिए।

वर्तनी की परिभाषा

वर्तनी-वर्तनी से आशय शब्दों की शुद्धि से होता है कि कोई शब्द शुद्ध रूप में किस प्रकार लिखा जाता है, अर्थात् किसी शब्द के शुद्ध हिज्जे (स्पेलिंग) को वर्तनी कहा जाता है।

वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों के मुख्य तीन कारण हैं -
  1. किसी शब्द का अशुद्ध उच्चारण करना या सुनना।
  2. अशुद्ध वर्तनी वाले शब्दों को बार-बार दोहराना।
  3. मत-भिन्नता के कारण विभिन्न समस्याएँ
जैसे - 

(1) यदि हम श का उच्चारण सही तरह करते हैं या सुनते हैं, तो निश्चित रूप से अशोक शब्द को लिखते समय असोक नहीं लिखेंगे। यह समस्या या अशुद्धि गलत उच्चारण करने या सुनने के कारण है।

(2) शिक्षा - मनोविज्ञान की दृष्टि से जिस शब्द से जो वर्तनी बार-बार दिखाई देती है, दर्शक या पाठक के मानस पटल पर वही अंकित हो जाती है। अतः बच्चों के समक्ष अशुद्ध वर्तनी वाले शब्दों को न रखें।

(3) कोई गये - गयी लिखता है, तो कोई गए, गई। पक्का शब्द को कोई पक्का लिखता है, तो कोई पक्का। इस प्रकार की समस्याएँ हैं। ये समस्याएँ मत भिन्नता के कारण हैं।

शुद्ध अशुद्ध वर्तनी

1. बहुवचन रूपों की अशुद्धियाँ
ईकारांत और ऊकारांत शब्दों के बहुवचन रूपों में 'ई' और 'ऊ' क्रमशः 'इ' और 'उ' में बदल जाते हैं।
जैसे -
  • लड़की - लड़कियाँ
  • खिड़की - खिड़कियाँ
  • सर्दी - सर्दियाँ
  • पत्नी - पत्नियाँ
  • उल्लू - उल्लुओं
  • हिंदू - हिंदुओं

2. 'आ' की जगह 'अ' की मात्रा
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
असान आसान
संसारिक सांसारिक
अगामी आगामी
अवाज़ आवाज़
सप्ताहिक साप्ताहिक
बजार बाज़ार

3. 'अ' की जगह 'आ' की मात्रा
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
आधीन अधीन
लागान लगान
अत्याधिक अत्यधिक
आसाम असम
हस्ताक्षेप हस्तक्षेप
हाथिनी हथिनी
तालाशी तलाशी
बारात बरात

4. 'इ' की जगह 'ई' की मात्रा
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
अभीमान अभिमान
परीचय परिचय
तिथी तिथि
क्योंकी क्योंकि
प्राप्ती प्राप्ति
बधाईयाँ बधाइयाँ
दवाईयाँ दवाइयाँ
पूर्ती पूर्ति

5. 'उ' और 'ऊ' मात्रा का दोष
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
करूणा करुणा
झाडु झाडू
ज़रुरत ज़रूरत
उधम ऊधम
हिंदु हिंदू
भुमि भूमि
बापु बापू
रूचि रुचि
शुरु शुरू
लहु लहू
मुल्य मूल्य
पुज्य पूज्य

6. 'ऋ' और 'रि' अशुद्धि
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
रिषी ऋषि
रितु ऋतु
अनुग्रहीत अनुग्रहित
मात्रभूमि मातृभूमि
श्रृंगार शृंगार
ब्रजभूमि बृजभूमि
प्रथक पृथक
आकृमण आक्रमण

7. 'ए' और 'ऐ' लिखने में अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
एतिहासिक ऐतिहासिक
एनक ऐनक
सेनिक सैनिक
नेतिक नैतिक

8. 'ई' की जगह 'इ' मात्रा की अशुद्धि
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
श्रीमति श्रीमती
बेइमान बेईमान
पत्नि पत्नी
बिमारी बीमारी
अधिन अधीन
दिवाली दीवाली
किजिए कीजिए
परिक्षा परीक्षा

9. 'इ' मात्रा का लोप
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
विरहणी विरहिणी
परस्थिति परिस्थिति
नायका नायिका
सरोजनी सरोजिनी

10. 'उ' और 'ऊ' मात्रा संबंधी अशुद्धि
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
कूआँ कुआँ
हेतू हेतु
फूलवारी फुलवारी
इंदू इंदु
प्रभू प्रभु
तुफान तूफान
बिन्दू बिंदु
दयालू दयालु

11. 'ओ' और 'औ' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
त्यौहार त्योहार
लोकिक लौकिक
कोरव कौरव
ओद्योगिक औद्योगिक
मोन मौन
रौपना रोपना
नोकरी नौकरी
पड़ौसी पड़ोसी
दौना दोना
पकोड़ी पकौड़ी
भोतिक भौतिक
गोतम गौतम

12. अनुस्वार और अनुनासिक की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
कांटा काँटा
आंख आँख
झांसी झाँसी
बांस बाँस
भांति भाँति
दांत दाँत
गूंगा गूँगा
कांच काँच
प्राँत प्रांत
गुँजन गुंजन
कांपना काँपना
अँकुर अंकुर
दिनाँक दिनांक
ऊंघना ऊँघना
गूंजना गूँजना

13. संधि के अज्ञान की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
अत्याधिक अत्यधिक
अनाधिकार अनधिकार
अध्यन अध्ययन
प्रोढ़ प्रौढ़
निरोग नीरोग
पीतंबर पीतांबर
उपरोक्त उपर्युक्त
उज्वल उज्ज्वल
निरस नीरस
सन्यासी संन्यासी

14. 'ट' और 'ठ' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
यथेष्ठ यथेष्ट
श्रेष्ट श्रेष्ठ
कनिष्ट कनिष्ठ
परिशिष्ठ परिशिष्ट
मिष्टान्न मिष्ठान्न
बलिष्ट बलिष्ठ

15. 'ड' और 'ण' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
गड़ेश गणेश
गड़ना गणना
टिप्पड़ी टिप्पणी
गुड़ गुण
रामायड़ रामायण
रँडभूमि रणभूमि

16. 'न' और 'ण' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
रामायन रामायण
निरीक्षन निरीक्षण
रनभूमि रणभूमि
किरन किरण
प्रान प्राण
हिरन हिरण

17. 'र', 'ल', 'ड़' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
उजारना उजाड़ना
टेड़ा टेढ़ा
प्रौड़ा प्रौढ़ा
बूड़ा बूढ़ा
मड़ना मढ़ना
खिढ़की खिड़की
चिड़ना चिढ़ना
लराई लड़ाई

18. 'व' और 'ब' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
बनस्पति वनस्पति
बिलास विलास
बर्षा वर्षा
बन वन
बिष विष
बाणी वाणी

19. 'स' और 'श' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
आदर्स आदर्श
देस देश
साम शाम
सासन शासन
नास नाश
प्रसंसा प्रशंसा
सायद शायद
साखा शाखा

20. 'श' और 'स' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
अमावश्या अमावस्या
शुषमा सुषमा
नमश्कार नमस्कार
प्रशाद प्रसाद

21. 'क्ष' और 'छ' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
कछा कक्षा
छुद्र क्षुद्र
दीछा दीक्षा
छमा क्षमा
छेत्र क्षेत्र
लछण लक्षण

22. प्रत्यय संबंधी अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
कौशलता कौशल, कुशलता
निरपराधी निरपराध
पौरुषत्व पौरुष/पुरुषत्व
महत्व महत्त्व
चातुर्यता चातुर्य, चतुरता
पूज्यनीय पूजनीय, पूज्य
बुद्धिमानता बुद्धिमत्ता
मान्यनीय मान्य, माननीय

23. 'ज्ञ' और 'ग्य' की अशुद्धियाँ
जैसे -
अशुद्ध शुद्ध
आग्या आज्ञा
ग्यान ज्ञान
यग्य यज्ञ
कृतग्य कृतज्ञ
प्रतिग्या प्रतिज्ञा
योज्ञ योग्य

हिंदी वर्तनी से सम्बंधित नियम

वर्तनी से सम्बंधित विभिन्न समस्याओं एवं उनके निदान की चर्चा करने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर विचार करना होगा-
  1. व्यंजनों का संयुक्त रूप
  2. विभक्ति चिह्न
  3. उपसर्ग और प्रत्यय वाले शब्द
  4. श्री/जी का प्रयोग
  5. संयुक्त क्रिया, सहायक क्रिया एवं अव्यय
  6. संयोजक चिह्न
  7. देशज शब्द
  8. विदेशज शब्द
  9. अनुस्वार और चंद्रबिन्दु
  10. ई या ये का प्रयोग
  11. की/कि - लिखने की दुविधा

(1) व्यंजनों का संयुक्त रूप

(क) खड़ी पाई वाले व्यंजनों (ख, ग, घ, च, ज, ण, त, प, ध, न य आदि) का संयुक्त रूप खड़ी पाई को हटा कर बनाएँ।
जैसे- ख्याल. अच्छा, पुष्प, ज्वर, पत्थर आदि।

(ख) जिनमें खड़ी पाई (क, फ) बीच में है, उन्हें इस प्रकार लिखें मक्का, चक्की, दफ्तर, रक्त, आदि।

(ग) जिनमें खड़ी पाई (ड, ट, ठ, ड, ढ, द, ह) नहीं है। उनके नीचे हल दें।
जैसे - नाट्य, कंठ्य, अड्डा, विद्यालय,

(घ) 'र' की स्थिति कुछ अलग है, यदि 'र' (स्वर रहित अर्थात आधार) पहले हो और बाद में कोई व्यंजन हो, तो र उस व्यंजन के ऊपर दिया जाता है। इसे रेफ कहते है।
जैसे
  • धर्म (ध + र + म), शीर्षक (शी + र + ष + क)

यदि व्यंजन के बाद कोई मात्रा हो तो रेफ मात्रा के ऊपर लगता है।
जैसे - वर्मा, कर्मी, धर्मेन्द्र आदि।

(i) यदि 'आधा व्यंजन (स्वर रहित) के बाद पूरा र (स्वर रहित) हो, तो पाई वाले व्यंजन में प्र' की तरह दिखलाया जाता है।
जैसे -
  • व्रत (व् + र + त), क्रम, व्रज, सम्राट् आदि।
लेकिन श और त के साथ इसका संयोग इस प्रकार होता है-
  • त् + र = त्र - त्रस्त, त्रिवेणी, अस्त्र आदि।
  • श् + र = श्र - श्रवण, श्रेणी, श्री आदि।

(ii) बिना पाई वाले (ट्, ठ्, ड्, ह् आदि) व्यंजन के साथ पूरा र इस प्रकार जुड़ता है-
  • ट्रक (ट् + र + क), राष्ट्र, ड्रामा, ड्राम आदि।
लेकिन 'ह' के साथ पूरा र इस प्रकार जुड़ता है
  • ह्रस्व (ह् + र + स्व), ह्रास, ह्रस्वता आदि।

(2) विभक्ति चिह्न

(क) विभक्ति चिह्न का प्रयोग संज्ञा से अलग लेकिन सर्वनाम के साथ करें।
जैसे - राम ने, युद्ध में, रथ पर, सीता के लिए, उसने, उसमें मुझपर आपके, आपकी, आपका।

(ख) अगर दो विभक्तियों का प्रयोग करना हो, तो पहली विभक्ति को सर्वनाम के साथ और दूसरी को अलग लिखें।
जैसे - उनमें से, मेरे लिए, इसके लिए, आपके द्वारा।

(ग) अगर सर्वनाम के रूप बड़े हों, तो विभक्ति (विभक्तियों) को अलग लिखें।
जैसे - आप लोगों के, आप लोगों के द्वारा, उन लोगों में, उन लोगों में से।

(घ) यदि सर्वनाम और विभक्ति के बीच ही, भी, तक आदि अव्यय हों, तो विभक्ति को अलग लिखें।
जैसे - मुझ तक को, मेरे लिए, आप ही के लिए।

(3) उपसर्ग और प्रत्यय वाले शब्द - ऐसे शब्दों को एक साथ लिखें
जैसे -
  • उपसर्ग वाले शब्द - अध्यापक, प्रतिध्वनि, खुशहाल, इत्यादि।
  • प्रत्यय वाले शब्द - पढ़कर, पढ़वाकर, दूधवाला, लकड़हारा।

(4) श्री / जी का प्रयोग - आदरसूचक, श्री एवं जी को शब्द के साथ लिखें।
जैसे -
  • श्री - श्रीराम, श्रीगणेश, श्रीयुत्, धनश्री रामश्री आदि।
  • जी - भाईजी, बहनजी, माताजी, रामजी, कृष्णजी आदि।

(5) संयुक्त क्रिया, सहायक क्रिया एवं अव्यय - इन्हें अलग-अलग लिखें।
जैसे -
(क) हँस पड़ा, आ गया, खेल रहा है, पढ़ता आ रहा था।
(ख) अव्यय शब्द - यहाँतक, वहाँतक, रातभर, दिनभर आदि।

(6) संयोजक चिह्न - यह चिह्न दो शब्दों को जोड़ता है। इसका प्रयोग निम्नलिखित परिस्थतियों में करें।
जैसे -
(क) जब दोनों पद प्रधान हैं। - भाई-बहन, सीता-राम,

(ख) विलोम शब्दों में - अच्छा-बुरा, स्वर्ग-नरक, लाभ-हानि आदि

(ग) एक शब्द सार्थक और दूसरा निरर्थक हो - उल्टा-पुलटा, रोटी-वोटी, झूठ-मूठ, चाय-वाय, पानी-वानी आदि।

(घ) पुनरुक्ति या द्विरुक्ति में - गाँव-गाँव, शहर-शहर, अपना-अपना

(च) दो विशेषणों में - दो-चार, दस-बीस, चौथा-पाँचवा आदि।

(छ) सा से, सी, जैसे, जैसी, आदि में - चाँद-सा मुखड़ा, कम से कम।

(ज) जब दो शब्दों के बीच सम्बन्ध कारक के चिह्न (का, के, की) लुप्त हों। जैसे- राम-लीला, लीला-भूमि, मानव-जीवन, जीवन-दर्शन, शब्द-भेद, ज्ञान-सागर, संत-मत, लेखन-कला आदि।
लेखन-कला (लेखन की कला)
शब्द-भेद (शब्द के भेद, शब्द का भेद)

नोट :- पदों, दुकानों, संस्थाओं, समितियों आदि के नाम बिना संयोजक चिह्न के लिखें। जैसे - उपकुलपति, भूतपूर्व सैनिक, पाटलिपुत्र, किताबघर, सोवियत संघ, नागरी, प्रचारणी सभा आदि।

(7) देशज शब्द

(अ) तत्सम शब्द-

(क) हिन्दी में सारे तत्सम शब्द प्रयुक्त होते हैं, उनमें कुछ शब्दों के अंत में हल आता है।
जैसे - महान्, विद्वान्, जगत्, विद्युत् आदि।

यदि हल के बिना इन शब्दों को लिखा जाए तो इन शब्दों की उत्पत्ति समझ में नहीं आएगी। साथ ही संधि और छंद में भी कठिनाई उत्पन्न हो जाएगी। अतः हल हटाना उचित नहीं है।

(ख) द्वित्व का प्रयोग यथासंभव होना चाहिए।
जैसे - आवर्तन, परिवर्तन, तत्त्व, महत्त्व, कर्त्ता आदि।

(ग) कुछ तत्सम शब्दों में विसर्ग (:) का प्रयोग होता है।
जैसे - अतः, स्वतः, प्रातः, मूलतः, अंशतः, आदि। इनमें विसर्ग का प्रयोग अवश्य करें।

(8) विदेशज शब्द

(क) अरबी-फारसी और अंग्रेजी के कुछ शब्दों के नीचे बिन्दु, ध्वनि-विशेष के लिए दिया जाता है। हालाँकि वाक्य-प्रयोग से ही उनका अर्थ स्पष्ट हो जाता है। अतः बिन्दु देने की जरूरत नहीं। उन्हें बिन्दु रहित लिखें। राज, खैर, गरीब, कागज, कब्र, इज, जीरो, फास्ट, फेल आदि। हाँ यदि शब्दों के बीच फर्क दिखलाना हो तो बिन्दु का प्रयोग किया जा सकता है।
जैसे - खान-खान, गज-गज, राज-राज आदि।

(ख) अंग्रेजी के कुछ शब्दों के उच्चारण में औ जैसी ध्वनि निकलती है। इनमें ध्वनि-विशेष के लिए अर्द्धचन्द्र (ॅ) का प्रयोग करें।
जैसे - ऑफिस, ऑफिसर, कॉलेज, नॉलेज, स्टॉफ. स्पॉट आदि।

(9) अनुस्वार और चंद्र बिन्दु

(क) यदि पंचमाक्षर व्यंजन के साथ संयुक्त हो, तो अनुस्वार का प्रयोग करें।
जैसे - अंक, मंजन, मंडल, बिंदु, खंभा आदि।

(ख) चंद्र बिंदु वाले शब्दों में, चन्द्र बिन्दु के बदले अनुस्वार का प्रयोग न करें। इससे अर्थ में बहुत अंतर आ जाता है।
जैसे - हंस-हँस, अंगना-अँगना, आदि में बहुत अंतर है।

नोट :- सिर्फ शिरोरेखा पर चंद्र बिन्दु न देकर उसके बदले बिन्दु दें।
जैसे - चलें, में, मैं. हैं. सिंगार आदि।

(ग) बहुवचन के इन रूपों - साड़ियाँ, तिथियाँ, मिठाइयाँ, कठिनाइयाँ, भाषाएँ, संज्ञाएँ आदि में चंद्र बिन्दु दें बिंदु नहीं।

(घ) अनुस्वार युक्त तत्सम शब्दों का तद्भव रूप प्रायः चंद्रबिंदु के साथ आता है।
जैसे - अंकुर-अँकरा, अंचल-आँचल, अंधकार-अँधेरा, अंक-आँक, चंद्र-चाँद, झंप-झाँप, टंकन-टाँकना, दंत-दाँत, पंक-पाँक, पंच-पाँच, बंधन-बाँधना, बिंदु-बूंद, मंद-माँद, रंग-राँगा आदि।

(10) ए/ये तथा ई/यी का प्रयोग
शब्दों के अंत में ए/ये अथवा ई/यी लिखा जाए, इसमें बहुत मतांतर है। कोई गए/गई लिखता है, तो कोई गये-गयी। इसी प्रकार कोई नए-नये लिखता है तो कोई नये-नयी। अगर कुछ नियमों का पालन किया जाय तो इनके लिखने में एकरूपता आ सकती है।
इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(क) संज्ञा में ई का प्रयोग करें, लेकिन क्रिया या विशेषण में य, ये रूप रखें।
जैसे-
  • संज्ञा- भाई, भौजाई, खटाई, मिठाई, लम्बाई, चौड़ाई, लिखाई, पढ़ाई, लड़ाई, खाई आदि।
  • क्रिया विशेषण - लिया-लिये-ली, गया-गये, गयी, खाया-खाये-खायी, नया-नये-नयी आदि।

उदाहरण
  • मैंने रोटी खायी है। (खायी-क्रिया)
  • यह गहरी खाई है। (खाई-संज्ञा)
  • इन्होंने मुझे हिन्दी पढ़ाई। (पढ़ाई-क्रिया)
  • उनकी पढ़ाई क्यों रुकी? (पढ़ाई-संज्ञा)
  • यह नया/नयी है। (नया/नयी विशेषण)

(ख) अव्यय, विभक्ति, क्रिया से बने विशेषण, विधि क्रिया और भविष्यत् काल की क्रिया में ए/ऐ का प्रयोग करें।
जैसे - लिए, इसलिए, के लिए, चाहिए, दीजिए, आए बिना, गए बिना, आएँ, जाँए जाइए, आइएगा, आएँगे, जाएँगी आदि।

उदाहरण
  • आपने पाँच रुपये लिये। (लिये-क्रिया)
  • आपके लिए मैं खड़ा हूँ। (लिए-अव्यय)
  • वे पटना से कब आये ? (आये-क्रिया)
  • वह आए बिना चला गया। (आये बिना-क्रिया से बना विशेषण)
  • वे कल राँची आएँगी। (आएँगी-भविष्यत्काल की क्रिया)

(11) कि/की के लिखने में दुविधा
कि एवं की में बहुत अंतर है। 'कि' योजक है जबकि 'की' सम्बन्धकारक की विभक्ति अथवा करना (क्रिया) का भूतकालिक रूप। वाक्य लिखने के क्रम में विद्यार्थियों को बड़ी दुविधा हो होती है कि - कि लिखें या की।
अतः इनके प्रयोग को समझें -

(i) सम्बन्धकारक के रूप में (की)
  • (क) उसकी कलम अच्छी है।
  • (ख) गाय की पूँछ लंबी है।
  • (ग) आपकी किताब नयी है।
  • (घ) कलम की स्याही लाओ।
  • (ङ) उनकी माता जी आयीं।

(ii) क्रिया के रूप में (की)
  • (क) उसने मेरी शिकायत की।
  • (ख) आप ने उसकी पिटाई की।

(iii) योजक के रूप में (कि)
  • (क) उसने कहा कि मैं पढ़ने जाऊँगा।
  • (ख) यही कारण है कि वह पढ़ना नहीं चाहता।
  • (ग) वह हमेशा कहता था कि आप मेरी मदद करें।
  • (घ) कि इस दवा में यह गुण है।
  • (ङ) कि उसने मुझे धोखा दिया।

नोट :- इन अव्यय शब्दों को इस प्रकार लिखें -
चूँकि, जबकि, जोकि, क्योंकि, ताकि, हालाँकि, इसलिए, कि आदि।
ऊपर वर्तनी के नियम बतलाये गये हैं, फिर भी वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियों को दूर करने के लिए कठिन शब्दों की सूची दी जा रही है, जिसके अभ्यास से शुद्ध-शुद्ध लिखा जा सकता है।

हिंदी वर्तनी का मानकीकरण

राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित होने पर हिंदी की वर्तनी की विभिन्न समस्याओं पर विचार-विमर्श कर उनके निराकरण और वर्तनी में एकरूपता लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने 1961 में विभिन्न भाषाविदों की एक समिति नियुक्त की। समिति ने अप्रैल, 1962 में अपनी अंतिम सिफारिशें प्रस्तुत की, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया।

वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शुद्ध
महान महान्
श्रीमति श्रीमती
पंचम् पंचम
उलटा उल्टा
सीधा-साधा सीधा-सादा
गुप्ता गुप्त
आवेष आवेश
ईर्षा ईर्ष्या
एैनक ऐनक
नर्क नरक
सौजन्यता सौजन्य
श्रीमान श्रीमान्
पश्चात पश्चात्
भगवान भगवान्
प्रसंशा प्रशंसा
जनाब जनाब
अनुग्रहीत अनुगृहीत
इसाई ईसाई
अत्योक्ति अत्युक्ति
अध्यन अध्ययन
रक्खा रखा
आरोग्यता आरोग्य
पूज्यनीय पूज्य/पूजनीय
उज्वल उज्ज्वल
ध्रूम धूम्र
निरोग नीरोग
अनाधिकारी अनधिकारी
इकठ्ठा इकट्ठा
एैतिहासिक ऐतिहासिक
जाउंगा जाऊँगा
तड़ित तड़ित्
तैय्यार तैयार
चारदीवारी चहारदीवारी
त्रिमासिक त्रैमासिक
पत्रकारी पत्रकारिता
बृज ब्रज
भष्म भस्म
विधिवत विधिवत्
सन्मान सम्मान
जगत जगत्
तलाब तालाब
चर्मोत्कर्ष चरमोत्कर्ष
जाग्रत जागृत
प्रतिछाया प्रतिच्छाया
बांस बाँस
भाग्यमान भाग्यवान
शताब्दि शताब्दी
सदृश्य सदृश
प्रेमचन्द प्रेमचन्द्र
कवियित्री कवयित्री
मूर्छा मूर्च्छा
शुद्धीकरण शुद्धिकरण
तत्व तत्त्व
विन्दु बिन्दु
महत्व महत्त्व
अजीब अजी़ब
कैलाश कैलास
आर्दश आदर्श
सन्यासी संन्यासी
ज्येष्ट ज्येष्ठ
तत्कालिक तात्कालिक
चिन्ह चिह्न
गर्द्धभ गर्दभ
पृष्ट पृष्ठ
ब्राम्हण ब्राह्मण
भक्ती भक्ति
भिष्म भीष्म
शृंगार शृंगार
जगबन्धु जगद्ब्रन्धु
तिलांजली तिलांजलि
ज्योत्सना ज्योत्स्ना
गिरस्ती गृहस्थी
पहुंच पहुँच
वाल्मिकी वाल्मीकि
बंगला बँगला
वीना बीणा
श्रीयुक्त श्रीयुत
मंत्रीवर मंत्रिवर
रेणू रेणु
यशलाभ यशोलाभ
महात्म माहात्म्य
विहंगिनी विहंगी
वक्तागण वक्तृगण
महाराजा महाराज
साधूवाद साधुवाद
हिन्दु हिन्दू
रसायण रसायन
राजागन राजगण
मंत्रीमण्डल मंत्रिमण्डल
महानतम महत्तम
वयवृद्ध वयोवृद्ध
ललायित लालायित
कार्यकर्म कार्यक्रम
सैना सेना
प्रफुल्लित प्रफुल्ल
दूकान दुकान
कुआँ कुँआ
उशृंखल उच्छृखल
कौशिल्या कौशल्या
अनाथिनी अनाथा
अन्ताक्षरी अन्त्याक्षरी
जोगी योगी
व्यंग व्यंग्य
पौरुषत्व पौरुष
द्वैवार्षिक द्विवार्षिक
निर्दयी निर्दय
उपलक्ष उपलक्ष्य
केकई कैकेयी
अहिल्या अहल्या
अहोरात्रि अहोरात्र
लब्धप्रतिष्ठित लब्धप्रतिष्ठ
श्वेतांगिनी श्वेतांगी
समाजिक सामाजिक
गुरू गुरु
स्वास्थ स्वास्थ्य
रामायन रामायण
रचेता रचयिता
माताहीन मातृहीन
विश्वासनीय विश्वसनीय
विधिवत विधिवत्
लक्षमण लक्ष्मण
उलंघन उल्लंघन
स्थायीत्व स्थायित्व
पक्षीगण पक्षिगण
दिवारात्रि दिवारात्र
नुपुर नूपुर
एकत्रित एकत्र
क्यूंकि क्योंकि
अर्ध अर्द्ध
आशिर्वाद आशीर्वाद
पयोपान पयःपान
कोशीश कोशिश
पहिला पहला
धुंआ धुआँ
जुलुस जुलूस
ऊषा उषा
गत्यावरोध गत्यवरोध
असाढ़ आषाढ़
जमुना यमुना
सुगन्धि सुगन्ध

शब्द - सूची

स्वर -
अंकगणित, अंकित, अंकुरण, अंगूर, अंतरिक्ष, अंतर्दृष्टि, अंतर्योगी, अंतर्राष्ट्रीय, अंत्याक्षरी, अंधविश्वास, अकड़ना, अकर्मण्य, अखिलेश, अतिरिक्त, अतिवृष्टि, अतिशयोक्ति, अतुलित, अदूरदर्शी, अद्वितीय, अनियमित, अनुकूल, अनुत्तीर्ण, अनुपस्थित, अव्यय, अन्वेषण, अपरिचित, अविवाहित, अशिष्ट, अहल्या, आकाशवाणी, आचार्य, आणविक, आपत्ति, आभूषण आयुर्वेद, आयुष्मान्, आयोजित, आविष्कर्ता, आशीष, आशीर्वाद, आश्वासन, आषाढ़, इंदिरा, इंदु, इंद्रजित, इंद्रिय, इक्कीस, इतिहास, इमली, इलाइची, ईंट, ईधन, ईख, ईर्ष्या, ईश्वर, इत्र, ईसाई, उक्ति उच्चारण, उज्ज्वल, उत्कृष्ट, उत्तीर्ण, उदित, उद्गम, उद्देश्य, उन्मूलन, उपयुक्त, उपलब्धि, उर्दू, उर्वशी, उल्लू, ऊख, ऋणी, ऋषि, एड़ी, ऐच्छिक, ऐरावत, ओठ, औरत।

क वर्ग -
कंठस्थ, कण, कदापि, कपिलवस्तु, कमसिन, करुणा, करोड़पति, कलियुग, कल्याण, कश्मीर, कष्ट, कस्तूरी, काजू, कादंबिनी, कायस्थ, कालिमा, किरानी, किवाड़, किशमिश, कीचड़, कीमत, कीर्ति, कुंआ, कुली, कुलीन, कुल्हाड़ी, कूदना, कृतज्ञ, कृत्रिम, कृषि, कृष्ण, कैकेयी, कोल्ड, कोहिनूर, कौशल्या, क्षमा, खरबूजा, खिचड़ी, खिलाड़ी, खुशबू, खेतिहर, खोपड़ी, ख्याति, गगनचुंबी, गट्ठर, गड़ेरिया, गणतंत्र, गिनती, गिरगिट, गिरवी, गिलहरी, गुदगुदी, गोशाला, ग्रन्थि, ग्रीष्म, ग्वालिन, घड़ियाल, घर्षण, घुड़दौड़, घूस, घोषणा।

च वर्ग -
चंद्रग्रहण, चंद्रिका, चक्रव्यूह, चक्षु, चतुर्भुज, चालीस, चिकित्सक, चिट्ठी, चिडिया, चिडीमार, चिरजीवी, चौमंजिल, छात्रवति, छिपकली, छआछत, जन्मकंडली, जन्मतिथि, जितेंद्रिय, जीविका, जुगनू, जुड़वाँ, ज्यामिति, ज्येष्ठ, ज्योतिषी, झींगुर, झील, झुनझुनी, झोपड़ा।

ट वर्ग -
टिकुली, टिप्पणी, टाइपराइटर, टिफिन, टिमटिमाता, टेनिस, टेलिविजन, ठकुराइन, डाकू, डिबिया, डब्बा, ड्योढ़ी।

त वर्ग -
तकलीफ, तपस्विनी, तपस्वी, तबीयत, तराजू, तांत्रिक, तूफान, त्रिशूल, तितली, तिमंजिला, तिरहुतिया, तुलसीदास, तूतिया, थोबड़ा, दंडी, दधीचि, दरिद्र, दरियादिल दर्पण, दही, दशमी, दसवाँ, दिलीप, दीपावली, दुर्योधन, दुल्हन, धूम्रपान, धूर्त, धृतराष्ट्र, धोबिन, योनि, ध्वनि, नकद, नक्षत्र, निंदित, नबाव, नाबालिग, नामुमकिन, नारियल, नाश्ता, नास्तिक, निंदनीय, निपुण, नि:संकोच, नि:संदेह, निमंत्रण, नियंत्रित, नियुक्ति, निराशा, निर्जीव, निश्चित, निष्कर्म, निहित, निष्क्रिय, नींबू, नेकनीयत।

प वर्ग -
पंक्ति, पंछी, पंजिका, पक्षिराज, पक्षी, पट्टी, पवित्र, पतिव्रता, पत्रिका, पत्ती. परशुराम, परिणाम, परिपूर्ण, परीक्षा, पश्चिम, पारदर्शिता, पारदर्शी, पिंजरा, पितृगृह, पिस्तौल, पुरोहित, पुलकित, पुलिंदा, पुलिस, पुष्ट, पुष्पवाटिका, पूँछ, पूँजी, पूछताछ, पूजनीय, पूर्णविराम, पूर्णाहुति, पूर्णिमा, पृथ्वी, पूर्ति, पेशाब, पैतृक, पोषण, प्रकृति, प्रतिज्ञा, प्रकाशित, प्रतियोगिता, प्रतियोगी, प्रतीक्षा, प्रत्यक्षीकरण, प्रहलाद, प्रफुल्लित, प्रवेशिका, प्रशंसित, प्राणिशास्त्र, प्राणी, फिजूल, फिटकिरी, फल, फुलवारी, फूलगोभी, बंदूक, बदलू, बदरीनारायण, बनमानुष, बलवान, बलिष्ठ, बल्कि, बवासीर, बहुमूल्य, बहुब्रीहि, बहू, वाटिका, बगीचा, बाणासुर, वासंतिक, बिंदी, बिकाऊ, बिक्री, बिगाड़ना, बिछुड़ना, बिरादरी, ब्रह्मचारी, ब्रह्मर्षि, भगीरथ, मरण, भरद्वाज, भर्त्सना, भविष्यत्, भागीरथी, भाग्यवान्, भिनभिनाना, भीड़-भाड़, भीषण, भीष्म, भूतपूर्व, भूमिका, भूमिहार, भूलभूलैया, भेड़िया, भ्रमण, मंजिल, मंजूर, मंत्री, मंदाकिनी, मजदूर, मदिरा, मयूर, मरुभूमि, मस्तिष्क, महाराणा, महफिल, मारवाड़ी, मिथिला, मिश्रित, मुकुंद, मुक्ति, मुठभेड़, मुद्रण, मुसाफिर, मैथिली, म्यूजियम।

अंतःस्थ -
यजुर्वेद, यदुवंशी, यशोधरा, यहूदी, युक्ति, यूनानी, यौगिक, रचयिता, रणभूमि, रवि, रवीन्द्र, रामायण, रावण, राष्ट्रीय, रिक्शा, रिमझिम, रीति, रुचि, रूई. रेगिस्तान, रेशम, वनस्थली, वनस्पति, वरुण, वर्गीकरण, वर्जित, वर्णित, विपरीत, विभिन्न, विभीषण, विरुद्ध, विलक्षण, विलासी, विशिष्ट, विशेषण, विश्लेषण, विस्मरण, विस्मृति, विहीन, वीणापाणि, वैजयंती, व्यवस्था।

उष्म -
शकरकंद, शक्तिमान, शताब्दी, शत्रुघ्न, शनिवार, शरीर, शहतूत, शहनाई, शारीरिक, शहजादा, शिक्षित, शिलान्यास, शिविर, शीर्षक, शीशी, शुक्रिया, शुतुरमुर्ग, शुभचिंतक, शुभाकांक्षी, शून्य,शृंखला, शृंगार, श्मशान, श्रीमान्, श्रेष्ठ, ससुर, संकीर्ण, संकुचित, संक्रांति, संक्षेपण, संन्यासी, संपत्ति, संपूर्ण, समाधि, सरस्वती, सरोजिनी, सर्वज्ञा, सर्वस्व, स्वागीण, सर्वोपरि, सहानुभूति, साप्ताहिक, सार्वजनिक, सावित्री, सर्वज्ञ, सिंचित, सिंदूर, सिंहासन, सिकड़ी, सिटकनी, सिद्धार्थ, सिपाही, सींग, सीढ़ी, शीशमहल, सुंदरता, सूचित, सूची, सूचीपत्र, सूर्यमुखी, स्तुति, स्तूप, स्थानांतरण, स्पर्धा, हथौड़ा, हरियाली, हरिणी, हरिश्चन्द्र, हस्तिनापुर, हाकिम, हिन्दुस्तान, हिन्दू, हितैषी, हिनहिनाना, हिरण्यकशिपु, हुजूर, होठ, होशियार।

चंद्र बिंदुवाले कुछ शब्द -
अँकड़ी, अंगना, अंकुड़ा, अंग्रेजी, अँगराई, अँगूठा, अंगूठी, अंगोछा, अँधेरा, आँकड़ा, आँकना, आँख, आँगन, आँचल, आँत, आँधी, आँवला, आँसू, ऊँघना, ऊँचा, ऊँट, कँकड़ीला, खाँसी, खूटा, गँवार, गाँजा, गाँठ, गूंगा, गूंज, घुघनी, घुघरा, चूंघट, चूंसा, चाँद, चाँदी, चाँव चूँकि, छाँटा, जंगला, जाँघ, जाँता, नँ, झाँसा, झाँकना, टाँक , टाँगना, टाँय-टाँय, ठाँय-ठाँय, ठूसना, डाँट, ढंकना, ढाँचा, पूँजी, फूंकना, बँगला, बाँझ, बाँधना, बाँसुरी, बाँह, बूंद, भँवर, भाँग, मँहुआ, माँ, सँपेरा, माँग, मुँह, मूंग, मूंछ, रँगना, रँगरेज, टाँगा, लँगड़ा, लँगड़ी, लाँघना, सँपेरा, साँचा, साँस, सूंघना, साँढ़ ढूँढ, हँसना, हाँफना, हुँकार हूँठ आदि।

ष्ट/ष्ठ-युक्त शब्दों की संक्षिप्त सूची -
  1. ष्ट - अंत्येष्ठि, अतिवृष्टि, भ्रष्ट, अभीष्ट, अष्टम, अष्टमी, उत्कृष्ट, कष्ट, चेष्टा, दुष्ट दृष्टि, धृष्ट, निकृष्ट, पुष्ट, पुष्प, विशिष्ट, शिष्टाचार, सृष्टि, हृष्टपुष्ट आदि।
  2. ष्ठ - अंबष्ठ, अनुष्ठान, ओष्ठ, कनिष्ठ, कुष्ठ, गोष्ठी, ज्येष्ठ, निष्ठुर, पृष्ठ, प्रतिष्ठा, बलिष्ठ, श्रेष्ठ आदि।

शब्दों में एक से सौ तक की संख्या सूची -
एक, दो, तीन, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ, दस, ग्यारह, बारह, तेरह, चौदह, पन्द्रह, सोलह, सत्रह, अठारह, उन्नीस, बीस, इक्कीस, बाइस, तेइस, चौबीस, पच्चीस, छब्बीस, सत्ताइस, अठाइस, उन्तीस, तीस, इक्तीस, बत्तीस, तैंतीस, चौंतीस. पैंतीस, छत्तीस, सैंतीस, अड़तीस, उनचालीस, चालीस, इकतालीस, बयालीस, तैंतालीस, चौवालीस, पैंतालीस, छियालीस, सैंतालीस, अड़तालीस, उनचास, पचास, एकावन, बावन, तिरपन, चौवन, पचपन, छप्पन, सन्तावन, अठावन, उनसठ, साठ, इकसठ, बासठ, तिरसठ, चौंसठ, पैंसठ, छियासठ, सड़सठ, अड़सठ, उनहत्तर, सत्तर, इकहत्तर, बहत्तर, तिहत्तर, चौहत्तर, पचहत्तर, छिहत्तर, सतहत्तर, अठहत्तर, उनासी, अस्सी, इक्यासी, बेयासी, तिरासी, चौरासी, पचासी, छियासी, सतासी, अठासी, नवासी, नब्बे, इक्यानवे, बानवे, तिरानवे, चौरानबे, पंचानबे, छियानबे, संतानबे, अंठानबे, निन्यानबे, सौ।

संधि-समास एवं प्रत्यय सम्बन्धी कुछ शब्द -
सदुपदेश, अत्युक्ति, अनधिकारी, भास्कर, विच्छेद, सदुपदेश, उज्ज्वल, उपर्युक्त, दुष्कर, पितृण, वयोवृद्ध, अहोरात्र, महायज्ञ, योगिराज, विद्यार्थिगण, पूज्य, पूजनीय, ऐतिहासिक, मंत्रिमंडल, द्विवार्षिक, मान्य, माननीय, प्रादेशिक, प्रमाणिक, पैतृक, सार्वजनिक, साप्ताहिक, समद्री, सांसारिक।

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