विशेषण के भेद
विशेषण के प्रमुख रूप से चार भेद (प्रकार) होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- परिमाणवाचक विशेषण
- गुणवाचक विशेषण
- सार्वनामिक विशेषण
- संख्यावाचक विशेषण
1. परिमाणवाचक विशेषण
संज्ञा के परिमाण अर्थात् मात्रा, संख्या आदि का बोध कराने वाले विशेषण को परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- मेरी गाय बहुत दूध देती
- राम को थोड़ी कॉफी दो।
इन वाक्यों में प्रयुक्त 'बहुत' एवं 'थोड़ी' शब्दों से परिमाण का बोध होता है।
परिमाणवाचक विशेषण के भी दो भेद माने गए हैं-
- निश्चित परिमाणवाचक विशेषण,
- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण।
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-
जिस प्रतिनिधि विशेषण शब्द से संज्ञा के परिमाण का निश्चित बोध होता है, उसे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- मेरी गाय पाँच लीटर दूध देती है।
- मेरे पास दस एकड़ जमीन है।
उपर्युक्त वाक्यों में 'पाँच लीटर' व 'दस एकड़' परिमाण का निश्चित बोध कराते हैं।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण-
जिस प्रतिनिधि विशेषण शब्द से संज्ञा के परिमाण का निश्चित बोध नहीं होता है, उसे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- कक्षा में अनेक छात्र थे।
- इस पेड़ में बहुत आम लगे हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में 'अनेक' एवं 'बहुत' अनिश्चित परिमाण का बोध कराते हैं।
2. गुणवाचक विशेषण
जिस प्रतिनिधि विशेषण शब्द के माध्यम से 'संज्ञा' अथवा 'सर्वनाम' के गुण अर्थात् स्वभाव, रूप, रंग, दशा आदि का बोध होता है, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- आशा सुंदर लड़की है।
- राजेश शांत लड़का है।
- दीपक स्वार्थी युवक है।
- अतुल चालाक व्यक्ति है।
इससे संज्ञा का गुण लक्षित होता है । गुणवाचक विशेषणों की संख्या अन्य सभी विशेषणों की अपेक्षा अधिक होती है।
कुछ गुणवाचक विशेषण ये हैं-
- काल- नया, पुराना, प्राचीन, अगला, पिछला आदि।
- स्थान- भीतरी, बाहरी, लंबा, चौड़ा आदि।
- आकार- गोल, चौकोर।
- रंग- लाल, पीला, नीला, हरा आदि।
3. सार्वनामिक विशेषण
जिस प्रतिनिधि सर्वनाम शब्द का प्रयोग विशेषण के बदले किया जाता है, उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। इस विशेषण में 'पुरुषवाचक' एवं 'निजवाचक' सर्वनामों के अतिरिक्त अन्य सर्वनामों का प्रयोग विशेषण के तौर पर किया जाता है।
उदाहरण-
- यह लड़का दौड़ रहा है।
- मेरा गाँव शहर के नज़दीक है।
- आपकी पुस्तक मिली।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त 'यह', 'मेरा', 'आपकी' जैसे सर्वनाम शब्द क्रमशः 'लड़का', 'गाँव' एवं 'पुस्तक' की विशेषता का बोध कराते हैं, अतः ये सार्वनामिक विशेषण हैं।
सार्वनामिक विशेषण के दो भेद होते हैं।
- मौलिक
- यौगिक
मौलिक सार्वनामिक विशेषण
जो प्रतिनिधि सर्वनाम शब्द अपने मूल रूप में किसी संज्ञा की विशेषता का बोध व्यक्त कराता है, उसे मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- यह व्यक्ति अध्यापक है।
- कौन लोग आए थे?
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त 'यह' और 'कौन' शब्द मौलिक सार्वनामिक विशेषण हैं, जो क्रमशः 'अध्यापक' और 'लोग' की विशेषता बता रहे हैं।
यौगिक सार्वनामिक विशेषण
वे सर्वनाम, जो किसी प्रत्यय से जुड़कर किसी संज्ञा की विशेषता का बोध कराते हैं, उसे यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- कितना दूध लाए हो?
- इतना चावल मैं नहीं खा सकता हूँ।
उपर्युक्त वाक्यों में 'कितना' एवं 'इतना' सर्वनाम शब्द क्रमशः 'दूध' एवं 'चावल' की विशेषता बता रहे हैं, अतः ये
यौगिक सार्वनामिक विशेषण हैं।
4. संख्यावाचक विशेषण
जिस प्रतिनिधि विशेषण शब्द के माध्यम से संज्ञा की संख्या का बोध होता है, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- विद्यालय में पचास छात्र हैं।
- वे दोनों कहाँ गए?
उपर्युक्त वाक्यों में 'पचास' एवं 'वे दोनों' शब्द संज्ञा की संख्या का बोध कराते हैं, अतः ये संख्यावाचक विशेषण हैं।
संख्यावाचक विशेषण के पाँच भेद किये गए हैं
- गणनावाचक विशेषण
- क्रमवाचक विशेषण
- आवृत्तिवाचक विशेषण
- समुदायवाचक विशेषण
- प्रत्येकवाचक विशेषण
गणनावाचक विशेषण
पूर्णांक बोधक और अपूर्णांकबोधक के रूप में गिनने योग्य संख्यावाचक विशेषण को गणनावाचक विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- पाँच छात्र पढ़ रहे थे। (पूर्णांकबोधक)
- आधा लीटर दूध है। (अपूर्णांकबोधक)
क्रमवाचक विशेषण
संख्या के क्रम को सूचित करने वाले संख्यावाचक विशेषण को ‘क्रमवाचक विशेषण' कहते हैं।
उदाहरण-
- पहला छात्र आगे बैठेगा।
- दूसरा छात्र पीछे बैठेगा।
आवृत्तिवाचक विशेषण
किसी संख्या की आवृत्ति को सूचित करने वाले संख्यावाचक विशेषण को 'आवृत्तिवाचक विशेषण' कहते हैं।
उदाहरण-
- दुगुना पानी
- चौगुना दूध
समुदायवाचक विशेषण
समूह या समुदाय का बोध कराने वाले संख्यावाचक विशेषण को 'समुदायवाचक विशेषण' कहते हैं।
उदाहरण-
- दोनों लड़के
- सातों घर
प्रत्येकवाचक विशेषण
एक (संख्या) का बोध कराने वाले संख्यावाचक विशेषण को 'प्रत्येकवाचक विशेषण' कहते हैं।
उदाहरण-
- प्रति महीना
- प्रत्येक व्यक्ति
तुलनात्मक विशेषण
जब दो या दो से अधिक वस्तुओं या भावों के गुण, मान आदि की परस्पर तुलना की जाती है, तो उसे तुलनात्मक विशेषण कहा जाता है। इसमें विशेषण से पूर्व ‘से अपेक्षाकृत', 'की अपेक्षा', 'की तुलना में', 'मुकाबले में', 'से कहीं बढ़कर' आदि तुलनात्मक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण-
- रोहित का घर मदन के घर से बड़ा है।
- अमित की अपेक्षा रोहन ईमानदार है।
- तुम्हारी कमीज़ उसकी कमीज़ की तुलना में सफेद है।
- छात्रों में निखिल अपेक्षाकृत तेज है।
इन वाक्यों में 'की अपेक्षा', 'अपेक्षाकृत', 'से बड़ा', 'की तुलना में' शब्द दो संज्ञाओं के गुण और अवस्था को तुलनात्मक दृष्टि से दर्शाते हैं।
जब दो स्थितियों के बीच तुलना होती है, तो विशेषण की स्थिति बदलती रहती है।
किसी में साधारण विशेषता होती है, तो किसी में उससे कम या अधिक होती है तथा किसी में सबसे कम या अधिक होती है।
इस आधार पर विशेषण की प्रमुख तीन अवस्थाएँ होती हैं, जो निम्नलिखित हैं
- मूलावस्था
- उत्तरावस्था
- उत्तमावस्था
1. मूलावस्था
विशेषण की वह अवस्था, जिसमें किसी दूसरे से तुलना नहीं की जाती है, उसे मूलावस्था विशेषण कहते हैं। इस विशेषण से केवल एक व्यक्ति, वस्तु आदि के गुण-दोष प्रकट होते हैं।
उदाहरण-
- रवि बुद्धिमान लड़का है।
- दही खट्टा है।
2. उत्तरावस्था
विशेषण की वह अवस्था, जहाँ दो की तुलना करके एक की अधिकता बताई जाए, उसे उत्तरावस्था विशेषण कहते हैं।
उदाहरण-
- अभिषेक सार्थक से छोटा है।
- रंजीत सतीश की अपेक्षा मोटा है।
3. उत्तमावस्था
विशेषण की वह अवस्था, जहाँ एक की दूसरों से तुलना करके सबसे अधिक विशेषता बताई जाए, उसे उत्तमावस्था कहते हैं।
उदाहरण-
- इन पाँच पुस्तकों में यह सबसे श्रेष्ठ है।
- कालिदास संस्कृत के सबसे महान नाटककार हुए।
संस्कृत में विशेषणों में 'तर' और 'तम' प्रत्यय लगाकर तुलना की जाती है। इसके अलावा, 'इष्ठ' प्रत्ययों का भी प्रयोग होता है। परंतु ऐसे शब्दों की संख्या कम है, जिनमें इन प्रत्ययों का प्रयोग हुआ हो, जैसे-ज्येष्ठ, कनिष्ठ, वरिष्ठ, श्रेष्ठ आदि।
इसी आधार पर हिन्दी में 'तर' और 'तम' प्रत्यय जोड़ देने का प्रचलन है, जैसे-श्रेष्ठतर, श्रेष्ठतम।
विशेषण की रचना
आकारांत विशेषण लिंग, वचन, कारक आदि के अनुसार बदलकर क्रमशः ईकारांत, एकारांत हो जाता है।
- आकारांत विशेषण पुल्लिंग में प्रायः आकारांत ही रहते हैं परंतु स्त्रीलिंग में ईकारांत हो जाते हैं,
जैसे-
पुल्लिंग | स्त्रीलिंग |
---|---|
मोटा पुरुष | मोटी महिला |
अच्छा बालक | अच्छी बालिका |
लंबा लड़का | लंबी लड़की |
- पुल्लिंग में विभक्ति या परसर्ग लगने पर उसमें परिवर्तन आ जाता है,
जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
---|---|
अच्छा लड़का | अच्छे लड़के |
अच्छे लड़के का | अच्छे लड़कों को |
- आकारांत विशेषण वचन के आधार पर बदलकर एकारांत हो जाता है,
जैसे-
एकवचन | बहुवचन |
---|---|
बड़ा | बड़े |
थोड़ा | थोड़े |
- कुछ विशेषण लिंग के आधार पर नहीं बदलते हैं, उनमें कोई परिवर्तन या विकार उत्पन्न नहीं होता है,
जैसे-
सुखी पुरुष | सुखी स्त्री |
---|---|
सभ्य लड़का | सभ्य लड़की |
शांत लड़का | शांत लड़की |
- संज्ञा पदों में प्रत्यय लगाकर विशेषण बनाया जाता है,
जैसे-
संज्ञा | विशेषण |
---|---|
शराब + ई | शराबी |
मानव + ईय | मानवीय |
पुराण + इक | पौराणिक |
भूख + आ | भूखा |
- उपसर्गों के द्वारा भी विशेषण बनाए जा सकते हैं,
जैसे-
सत् + जन | सज्जन |
निः + कपट | निष्कपट |
निः + स्वार्थी | निःस्वार्थी |
दुर + जन | दुर्जन |
- स्वतंत्र रूप में विशेषणों की संख्या कम है, अतः आवश्यकतानुसार संज्ञा से ही विशेषणों को बनाया जाता है।
उदाहरणार्थ-
संज्ञा | विशेषण |
---|---|
आदर | आदरणीय |
अतुल्य | अतुलनीय |
ईश्वर | ईश्वरीय |
कल्पना | काल्पनिक |
करुणा | कारुणिक |
घृणा | घृणित |
चमत्कार | चमत्कृत |
झंकार | झंकृत |
तंत्र | तांत्रिक |
परीक्षा | परीक्षित |
पल्लव | पल्लवित |
विज्ञान | वैज्ञानिक |
यंत्र | यांत्रिक |
समुदाय | सामुदायिक |
शिक्षा | शिक्षित |
हँसी | हँसोड़ |
क्षण | क्षणिक |
ज्ञान | ज्ञानी |
क्षेत्र | क्षेत्रीय |
विशेषण
जो शब्द संज्ञा एवं सर्वनाम की विशेषता या गुण को अभिव्यक्त (बताता) करता है, वह शब्द विशेषण कहलाता है। किसी भी संज्ञा के अनेक गुण होते हैं, जिनको व्यक्त करने के लिये विशेषण-पदों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के गुण संज्ञा के रूप, आकार, संख्या तथा गुण-स्थिति के रूप में होते हैं।
विशेषण के प्रमुख रूप
विशेषण का प्रयोग निम्नलिखित रूप में किया जाता है-
- विशेषता-व्यक्त करने में
- मात्रा-व्यक्त करने में
- स्वभाव-व्यक्त करने में
- संख्या-व्यक्त करने में
1. विशेषता व्यक्त करने में
विशेषण शब्द द्वारा किसी व्यक्ति अथवा वस्तु की विशेषता का बोध कराया जाता है, जैसे-सीता सुंदर है। इस वाक्य में 'सुंदर' शब्द सीता की विशेषता को व्यक्त कर रहा है, अतः 'सुंदर' विशेषण है।
2. मात्रा व्यक्त करने में
प्रतिनिधि विशेषण शब्द के द्वारा मात्रा का बोध कराया जाता है, जैसे-दस किलो चावल। यहाँ 'दस' विशेषण शब्द चावल की मात्रा का बोध कराता है।
3. स्वभाव व्यक्त करने में
प्रतिनिधि विशेषण शब्द के द्वारा संज्ञा के स्वभाव का भी बोध कराया जाता है, जैसे-राम शांत व्यक्ति है। इस वाक्य में 'शांत' शब्द राम के स्वभाव को व्यक्त कर रहा है, अत: 'शांत' शब्द विशेषण है।
4. संख्या व्यक्त करने में
प्रतिनिधि विशेषण शब्द के माध्यम से संख्या का बोध कराया जाता है, जैसे-कक्षा में चालीस छात्र हैं। इस वाक्य में 'चालीस' शब्द छात्रों की संख्या का बोध करा रहा है, अतः 'चालीस' शब्द विशेषण है।
उपर्युक्त वाक्यों में विशेषण के अतिरिक्त ध्यान देने योग्य दो अन्य महत्त्वपूर्ण बातें भी हैं-
- (i) प्रविशेषण
- (ii) विशेष्य
(i) प्रविशेषण
विशेषण एवं क्रिया-विशेषण की विशेषता का बोध जिस प्रतिनिधि शब्द के माध्यम से होता है, उसे 'प्रविशेषण' कहते हैं, जैसे-
- मनोज बहुत बदमाश लड़का है।
- सीता बड़ी साहसी लड़की है।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त 'बहुत' एवं 'बड़ी' शब्द क्रमश: 'बदमाश' एवं 'साहसी' विशेषण की विशेषता का बोध कराते हैं, अतः ये 'प्रविशेषण' हैं।
(ii) विशेष्य
विशेषण के माध्यम से जिसकी विशेषता व्यक्त होती है, उसे विशेष्य कहते हैं, जैसे-
- गीता अच्छी लड़की है।
- मोहन शरारती बच्चा है।
- प्रशांत सुंदर बालक है।
इन वाक्यों में प्रयुक्त 'लड़की', 'बच्चा' एवं 'बालक' विशेष्य हैं, जिनकी विशेषता क्रमशः ‘अच्छी', 'शरारती' एवं 'सुंदर' विशेषण के माध्यम से व्यक्त हो रही है।
वाक्य में विशेषण एवं विशेष्य में घनिष्ठ संबंध होता है। वस्तुतः वाक्य में विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से किया जाता है। कभी विशेष्य से पूर्व तो कभी विशेष्य के पश्चात् विशेषण का प्रयोग किया जाता है, अतः विशेषण के निम्नांकित दो भेद किये जा सकते हैं
1. विशेष्य विशेषण
वाक्य में जो शब्द विशेषण विशेष्य से पूर्व आता है, वह 'विशेष्य विशेषण' अथवा 'उद्देश्य विशेषण' कहलाता है,
जैसे-
- अभिजीत अच्छा लड़का है।
इस वाक्य में 'अच्छा' विशेषण लड़का' (विशेष्य) से पूर्व आया है, अतः 'अच्छा' विशेष्य विशेषण है।
2. विधेय विशेषण
जिस वाक्य में विशेषण का प्रयोग विशेष्य के पश्चात् किया जाता है, उसे विधेय विशेषण कहते हैं;
जैसे-
- मेरा घर बड़ा है।
इस वाक्य में 'बड़ा' (विशेषण) 'घर' (विशेष्य) के बाद प्रयुक्त हुआ है, अतः 'बड़ा' विधेय विशेषण है।
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