ट्रेडमार्क क्या होता है?
ट्रेडमार्क किसी उद्यम विशेष की वस्तुओं अथवा सेवाओं पर दिखाई देने वाले वे चिह्न हैं, जो उन्हें प्रतियोगियों से अलग पहचान देते हैं। 'दृश्य चिह्न' (विजिबल साइन) शब्द के दायरे में अनेक बातें शामिल हैं, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है। दृश्य चिह्न के रूप में इनमें से कोई एक प्रक्रिया या वस्तु, अथवा उनके संयोगों का उपयोग किया जा सकता है। ये हैं-
- काल्पनिक उपाधिया
- नाम
- प्रचलित एवं आविष्कृत शब्द
- नारे
- उपकरण
- संख्याएं एवं उनका संचय
- अक्षर
- चित्र अथवा प्रतीक लेबल
- रंगों का सम्मिश्रण अथवा उनकी सजावट
- पात्र या वस्तु या स्वयं का आकार।
उद्यमी केवल माल का ही कारोबार नहीं करते, वे यात्रा विज्ञापन, परिवहन बीमा एवं पदार्थों की अभिक्रिया आदि सेवाएं भी उपलब्ध कराते हैं। इन सेवाओं की पहचान के लिए 'सर्विस मार्क्स' का उपयोग किया जाता है। ट्रेडमार्क एवं सर्विस मार्क्स में वस्तुतः कोई अंतर नहीं होता। फर्क सिर्फ इतना है कि ट्रेडमार्क का संबंध माल से होता है। आम तौर पर ट्रेडमार्क शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थों में किया जाता है, जिसमें माल की पहचान के लिए प्रयोग किया जाने वाला ट्रेडमार्क्स, सर्विस मार्क्स, सामूहिक मार्क्स और प्रमाणन मार्क्स सम्मिलित हैं।
ट्रेडमार्क चिह्नित माल अथवा सेवा के उत्पादन के लिए वैयक्तिक उद्यमों की विशिष्ट पहचान बनाता है। अधिसंख्य देशों के ट्रेडमार्क कानूनों में सामूहिक मार्क्स के पंजीकरण का प्रावधान है। ये चिह्न उत्पत्ति अथवा विभिन्न उद्यमों की वस्तुओं एवं सेवाओं की उत्पत्ति अथवा समान रूप में पाई जाने वाली किसी अन्य विशेषता का बोध कराते हैं। सामान्यतः सामूहिक ट्रेडमार्क का स्वामी कोई सहकारी समिति, उद्यमों की कोई परिषद् अथवा सार्वजनिक चरित्र की कोई संस्था होती है। सामूहिक मार्क्स का उपयोग संस्था की सदस्यता अथवा उत्पाद की खास खूबियों की ओर संकेत करने के लिए किया जाता है।
विभिन्न व्यापारिक संस्थाएं प्रमाणन मार्क्स का उपयोग माल अथवा सेवाओं की विशेषताओं को प्रमाणित करने के लिए करती हैं। सामूहिक मार्क्स और प्रमाणन मार्क्स में यह अंतर है कि सामूहिक मार्क्स का उपयोग केवल एक विशेष प्रकार के उद्यम, उदाहरण के तौर पर सहकारी समिति के सदस्य ही, कर सकते हैं लेकिन प्रमाणन मार्क्स का उपयोग घोषित मानदंडों को पूरा करने वाला कोई उद्यम कर सकता है।
कोई भी उद्यम (एंटिटी) प्रमाणन मार्क्स के लिए तभी आवेदन कर सकता है जबकि वह संबंधित उत्पाद को 'प्रमाणित करने में समर्थ' हो। प्रमाणन मार्क्स की परिभाषा अलग-अलग देशों में अलग-अलग हो सकती है। यह आवश्यक नहीं है कि ट्रेडमार्क का आवेदन उच्च प्रौद्योगिकी के माध्यम से निर्मित उत्पादों के लिए ही किया जाए। ट्रेडमार्क का आवेदन अत्यंत साधारण उत्पादों के लिए भी किया जा सकता है। ट्रेडमार्क का उपयोग कृषि उत्पादों के लिए भी किया जा सकता है।
ट्रेडमार्क के उपयोग
ट्रेडमार्क के माध्यम से उपभोक्ता के समक्ष माल के एक निश्चित स्तर और उनके बीच की एकरूपता को अभिव्यक्त किया जाता है। इस प्रकार ट्रेडमार्क से उपभोक्ता को बाजार में उपलब्ध विभिन्न ब्रांडों में से मनचाहा माल खरीदने में सहायता मिलती है। किसी माल पर कोई खास मार्क होने से वह उद्यम अपने संभावित उपभोक्ता को उसकी उपलब्धता के प्रति आकर्षित कर सकता है। एक बार परिचित हो जाने पर उसका ध्यान टिका भी रहता है। यहाँ यह ध्यान देने की बात है कि ट्रेडमार्क से किसी माल अथवा सेवा को अन्य उद्यमों के माल से अलग पहचान हासिल होती है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि उपभोक्ता उस ट्रेडमार्क को धारण करने वाले उत्पाद के उत्पादक अथवा विपणक उद्यम का नाम भी जाने।
ट्रेडमार्क की सहायता से कोई उत्पादक अपने माल को तब भी पहचान सकता है जब वह उसके कब्जे से निकल कर विभिन्न विक्रय केंद्रों पर चला जाता है।
किसी ट्रेडमार्क के प्रसिद्ध होने पर उसके उत्पादक को नए बाजार में जगह बनाने में आसानी होती है।
एक कारगार ट्रेडमार्क प्रणाली उपभोक्ताओं को कई प्रकार के अनुचित व्यापारिक हथकंडों, मसलन बहकाने वाले अथवा भ्रम पैदा करने वाले मिलते-जुलते ट्रेडमार्क से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक सिद्ध होती है।
माल एवं सेवाओं की गुणवत्ता एवं विशेषता का सत्यापन करने का दायित्व निभाने वाले अधिकारियों के लिए ट्रेडमार्क काफी उपयोगी सिद्ध होते हैं।
ट्रेडमार्क के पंजीकरण से राष्ट्रीय अधिकारियों को सांख्यिकी एवं आर्थिक सूचना प्राप्त करने का एक उपयोगी स्रोत उपलब्ध होता है।
ट्रेडमार्क संबंधी शर्ते
ट्रेडमार्क से संबंधित गतिविधियों के तीन मुख्य पहलू हैं- ट्रेडमार्क का चुनाव, ट्रेडमार्क का संरक्षण, सुरक्षा और प्रतियोगियों की ट्रेडमार्क संबंधी गतिविधियों पर निगरानी।
ट्रेडमार्क के लिए किसी चिह्न-विशेष के चुनाव में काफी सावधानी की अपेक्षा होती है। अक्सर उपभोक्ता पर माल अथवा सेवा के बारे में पहला प्रभाव ट्रेडमार्क के कारण ही पड़ता है। इसके अलावा ट्रेडमार्क का चयन इस प्रकार किया जाना चाहिए कि इसके कारण पंजीकरण अथवा अतिक्रमण से संबंधित कोई समस्या न उठ खड़ी हो।
इस परेशानी से बचने के लिए उद्यम आवेदन के रूप में किसी उत्पाद अथवा उत्पाद-श्रृंखला के लिए संभावित ट्रेडमार्को की एक छोटी-सी सूची प्रस्तुत करते हैं। इस प्रक्रिया को 'प्राथमिक निकासी' (प्राइमरी क्लीयरेंस) कहते हैं।
ट्रेडमार्क के रूप में यों ही कोई भी चिह्न पंजीकृत नहीं किया जा सकता। ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए कुछ कानूनी शर्ते पूरी करनी पड़ती हैं।
नीचे दिए गए किसी भी कारण से कोई चिह्न ट्रेडमार्क के रूप में वैधता पाने के लिए अयोग्य माना जा सकता है-
- यदि किसी चिह्न में विशिष्टता व्यक्त करने वाली कोई विशेषता न हो और वह केवल माल अथवा सेवा की अंतर्निहित प्रकृति अथवा उसकी औद्योगिक क्रियाशीलता के कारण प्रदत्त रूप अथवा आकार को व्यक्त करता यदि कोई चिह्न केवल माल अथवा सेवा के प्रकार अथवा गुण को दर्शाने वाला संकेत मात्र हो।
- यदि कोई चिह्न व्यापारिक प्रक्रिया के दौरान संबंधित माल या सेवा को दर्शाने के लिए खुद-ब-खुद प्रचलित (कस्टमरी) हो गया हो।
- यदि कोई चिह्न प्रचलित ट्रेडमार्क का विरोधी है। एक ही माल अथवा सेवा के लिए प्रचलित ट्रेडमार्क और आवेदित ट्रेड मार्क के बीच कोई साम्य नहीं होना चाहिए।
- यदि कोई चिह्न अनैतिक, कपटपूर्ण और घृणित सामग्री का प्रतीक हो ।
- यदि कोई चिह्न राष्ट्रीय प्रतीकों को चित्रित करता हो।
- यदि कोई चिह्न किसी व्यक्ति (जीवित अथवा मृत), संस्था अथवा उसके प्रति विश्वास से संबंध व्यक्त करता हो अथवा तिरस्कार या असम्मान प्रदर्शित करता हो।
- इस तरह ट्रेडमार्क के तौर पर अपनाने के लिए किसी चिह्न के चुनाव के बाद यह पता लगा लेना चाहिए कि कहीं वैसा कोई ट्रेडमार्क पहले से ही पंजीकृत तो नहीं है।
ट्रेडमार्क के स्वामी के अधिकार
किसी ट्रेडमार्क को कानूनी तौर पर संरक्षित कराने के लिए उसे संबंधित देश के बौद्धिक संपदा कार्यालय के ट्रेडमार्क रजिस्टर में पंजीकृत करा लेना चाहिए। यदि संबंधित उद्यम का कार्यालय किसी ऐसे देश में है, जो 'मैड्रिड समझौते' में एक पक्ष है, तो वह उद्यम वाइपों के अंतर्राष्ट्रीय ब्यूरो से ट्रेडमार्क का अंतर्राष्ट्रीय पंजीकरण भी प्राप्त कर सकता है।
ट्रेडमार्क के एक बार पंजीकृत हो जाने के बाद उसका स्वामी किसी को उस ट्रेडमार्क का उपयोग करने से रोक सकता है। इतना ही नहीं ट्रेडमार्क का पंजीकरण जिन वस्तुओं या सेवाओं के लिए हुआ है, यदि उसी किस्म की वस्तुओं या सेवाओं के लिए संबंधित ट्रेडमार्क का प्रयोग किया जा रहा हो, तो उसका स्वामी अन्य लोगों को ऐसा करने से रोक सकता है।
वह उस ट्रेडमार्क का प्रयोग अलग तरह की वस्तुओं और सेवाओं के लिए किए जाने पर भी पाबंदी लगा सकता है, बशर्ते उसके कारण भ्रम पैदा हो रहा हो, अथवा उस ट्रेडमार्क की प्रतिष्ठा से लाभ उठाया जा रहा हो।
ट्रेडमार्क का पंजीकरण हमेशा एक निर्धारित अवधि के लिए ही किया जाता है, लेकिन पेटेंट के विपरीत एक बार ट्रेडमार्क का पंजीकरण हो जाने के बाद उसका नवीकरण बार-बार कराया जा सकता है, इसलिए किसी ट्रेडमार्क को अनिश्चित काल तक के लिए संरक्षित कराया जा सकता है। कुछ देशों में यह प्रावधान है कि ट्रेडमार्क को तभी संरक्षण मिलेगा, जब उसका उपयोग हो रहा हो। ट्रेडमार्क के पंजीकरण के बाद उसका उपयोग जितनी अवधि के अंदर शुरू हो जाना चाहिए, वह निर्धारित होती है। यदि ट्रेडमार्क का स्वामी किसी वैध कारण के बिना ही निर्धारित अवधि के अंदर ट्रेड मार्क का उपयोग करने में असफल रहता है, तो उस ट्रेडमार्क को पंजीकरण रजिस्टर से हटा दिया जाता है। ट्रेडमार्क के स्वामी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह केवल सामान्य प्रकृति का अथवा उत्पत्तिमूलक चिह्न न बन जाए। इसके लिए उसे निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए-
- संरक्षित ट्रेडमार्क का इस प्रकार उपयोग किया जाना चाहिए कि वह अन्य शब्दों से अलग दिखे।
- जहाँ भी संभव हो पंजीकृत ट्रेडमार्क के साथ R और अपंजीकृत ट्रेडमार्क के साथ TM शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- ट्रेडमार्क को उभारने के लिए कुछ उपाय अलग से भी किए जाने चाहिए। मसलन उसे रेखांकित कर दिया जाना चाहिए, अथवा उद्धरण चिह्न के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- ट्रेडमार्क का उपयोग विशेषण के रूप में किया जाना चाहिए और इसके साथ ही उस उत्पाद और सेवा का उत्पत्ति मूलक नाम दिया जाना चाहिए, जिससे ट्रेडमार्क संबद्ध हो।
- यदि कोई ट्रेडमार्क प्रतीक अथवा लोगो के रूप में दर्शाया गया हो तो उस लोगो अथवा प्रतीक के आकार को उचित अनुपात में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
जरूरी नहीं है कि किसी ट्रेडमार्क का पंजीकरण उसका उपयोग करने से पहले ही करा लिया जाए। वास्तविकता तो यह है कि कई ट्रेडमार्क व्यापार में सालों तक उपयोग में आने के बाद जब अपनी एक अलग पहचान बना लेते हैं, उनका पंजीकरण उसके बाद होता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि ट्रेडमार्क के प्रभाव क्षेत्र का उल्लंघन न हो, अपने प्रतिद्वन्दियों की व्यापारिक गतिविधियों की निरंतर निगरानी करनी चाहिए।
समझौते द्वारा ट्रेडमार्क के पंजीकरण के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का जो अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण किया गया है वह नाइस एग्रीमेंट के तहत् किया गया है। उसका उपयोग 110 से अधिक देश कर रहे हैं।
ट्रेडमार्क नियम, 2017
ट्रेडमार्क आवेदन की प्रक्रिया को सरल और युक्तिसंगत बनाने के लिये केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा नए ट्रेडमार्क नियम-2017 जारी किये गए हैं। नए नियम ट्रेडमार्क नियम-2002 को प्रतिस्थापित करेंगे। इसके प्रमुख प्रावधानों को हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं-
ट्रेडमार्क फार्म की संख्या 74 से कम करके 8 कर दी गई है।
पहली बार नियमों में प्रसिद्ध ट्रेडमार्को के निर्धारण के लिये रूपरेखा तैयार की गई है।
ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिये आवेदन के त्वरित प्रोसेसिंग को पंजीकरण चरण तक बढ़ा दिया गया है। अब तक यह केवल परीक्षण स्तर तक ही था।
ट्रेडमार्क से संबंधित सभी शुल्कों को तर्कसंगत किया गया है। ट्रेडमार्क की ई-फाइलिंग को बढ़ावा देने के लिये ऑनलाइन फाइलिंग के शुल्क को फिजिकल फाइलिंग के शुल्क से 10% कम कर दिया गया है।
व्यक्तियों, स्टार्ट-अप तथा लघु उद्यमों के लिये फीस को कम कर दिया गया है।
ई-मेल को आवेदन का अनिवार्य हिस्सा बना दिया गया है, ताकि कार्यालय संचार ई-मेल के माध्यम से भेजा जा सके।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विवादों की सुनवाई शुरू की गई है। पेंडेंसी को रोकने हेतु ट्रेडमार्क दिये जाने के विपक्ष में होने वाली कार्यवाहियों को अधिकतम दो बार तक सीमित कर दिया गया है।
नया ट्रेडमार्क नियम भारत में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने तथा बौद्धिक संपदा संरक्षण की दिशा में एक बेहतर कदम है।
महत्त्व
नए नियमों से भारत में बौद्धिक संपदा व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। बौद्धिक संपदा अधिकार के विकास से भारत के विकास में सहयोग मिलेगा।
शुल्क संरचना को युक्तियुक्त बनाया गया है। यह कदम भी भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
नए नियमों से ट्रिब्यूनल और अदालतों पर बोझ कम किया गया है। इससे विवादों का त्वरित व समयबद्ध रूप से निपटान संभव हो पाएगा।
यह ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम है। साथ ही यह संपदा अधिकार के संरक्षण के साथ एक अच्छे निवेश स्थल के रूप में भारत की स्थिति को सुदृढ़ करेगा।
ट्रेडमार्क नियम- 2017 को उचित समय पर परिवर्तित किया गया। भारत के स्टार्ट-अप कार्यक्रम के विकास में यह सहयोगी होगा और यह भारत के आर्थिक विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देगा।
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